13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड की पीडीएस प्रणाली : सोशल मीडिया पर लोगों ने सरयू राय को बतायी समस्याएं, समाधान भी बताये

रांची : सिमडेगा में एक बच्ची की मौत.झरिया में रिक्शा चालक की मौत.देवघरमें एक व्यक्ति की मौत. इन तीन मौतों में एक चीज कॉमन.कथित तौर पर सबकी मौतभोजनन मिलने के कारण हुई. यानी भूखसेइनकी जानें गयीं. मीडिया में भूख से मौत पर खूब खबरें छपीं. जांच दल बने. मौत पर अपनी रिपोर्ट दी. मौत की […]

रांची : सिमडेगा में एक बच्ची की मौत.झरिया में रिक्शा चालक की मौत.देवघरमें एक व्यक्ति की मौत. इन तीन मौतों में एक चीज कॉमन.कथित तौर पर सबकी मौतभोजनन मिलने के कारण हुई. यानी भूखसेइनकी जानें गयीं. मीडिया में भूख से मौत पर खूब खबरें छपीं. जांच दल बने. मौत पर अपनी रिपोर्ट दी. मौत की वजह कुछ भी रही हो, हर रिपोर्ट में एक चीज उजागर हुई कि मौतों के लिए प्रशासन और जनवितरण प्रणाली जिम्मेदार है.

सिमडेगामेंमरनेवाली 11 साल की संतोषी की मां कोयलीने कहा कि उसकी बच्ची ‘भात-भात’ करते हुए मर गयी. उसके पास अनाज खरीदने के पैसे नहीं थे. राशन दुकानदार ने चार महीने से अनाज नहीं दिया था,क्योंकिउसकाराशनकार्ड आधार सेलिंकनहीं हुआ था.

राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने राशन वितरण प्रणाली की खामियों को स्वीकारकिया औरइसेदुरुस्त करने की तत्काल कवायद शुरू कर दी. मुख्य सचिव के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें कहा गया था कि जिन लोगों के राशन कार्ड आधार से लिंक नहीं हैं, उन्हें राशन न दिया जाये. सरयू राय ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये कि जिनका राशन कार्ड आधार से लिंक नहीं है उन्हें भी राशन मिले, यह सुनिश्चित करें.

खाद्य आपूर्ति मंत्री ने यहां तक कह दिया कि यदि बायोमेट्रिक सिस्टम काम नहीं कर रहा है, तो वैकल्पिक रूप से रजिस्टर मेंटेन करें, लेकिन कोई राशन से वंचित नहीं रहना चाहिए. उन्होंने 22 अक्तूबर कोट्विटरऔर फेसबुकपरअपनेफैसले को साझा किया. उन्होंने लिखा, ‘सभी राशन दुकानों पर एक अपवाद पुस्तिका (Exception Register) रखने का निर्देश दिया है. अपवाद पुस्तिका में वैसे राशन कार्डधारियों का विवरण लिखा रहेगा, जिनका आधार नहीं बना है या आवेदन करने पर भी नहीं मिला है. जिन्हें मशीन से राशन मिलने में तकनीकी कठिनाई हो रही है, उन्हें इस अपवाद पुस्तिका के आधार पर अनाज मिलेगा.’

सभी राशन दुकानों पर एक अपवाद पुस्तिका (exception register) रखने का निर्देश दिया है. अपवाद पुस्तिका में वैसे राशन… https://t.co/SJPK2y8o5I

— Saryu Roy (@roysaryu) October 22, 2017

श्री राय ने सभी राशन दुकानदारों के साथ बैठक करने की भी जानकारी ट्विटर और फेसबुक पर शेयर की. लिखा, ‘30 अक्तूबर को राज्य भर के राशन डीलर प्रतिनिधियों का सम्मेलन बुलाया है. उनकी कठिनाइयां भी सुनी जायेंगी और सही राशन वितरण के बारे में आवश्यक निर्देश/हिदायतें भी दी जायेंगी.’ उनके इस पोस्ट पर ढेरों प्रतिक्रियाएं आयीं. कुछ लोगों ने उनकी अब तक की पहल की सराहना की, तो कई लोगों ने कहा कि राशन दुकानदार और जनवितरण प्रणाली को सुधारना मुमकिन नहीं है.

बोकारो की रहने वाली सोनामनी मुर्मू लिखती हैं, ‘जब मशीन लगी है, तब तो राशन दुकानदार गरीबों को राशन नहीं दे रहे हैं. मशीन हटा दिया जायेगा, तो क्या होगा? मैं जिस पंचायत की मुखिया हूं, उसी पंचायत में मेरे राशन दुकानदार ने अंगूठा लगवाकर केरोसिन तेल दे दिया और 50 किलोग्राम चावल खा गया. जब मैं इंटरनेट के माध्यम से कागज निकालकर पहुंची, तो राशन दुकानदार महिला सीधे पैर पर पड़ गयी. अगले महीने राशन देने की बात कहने लगी.’

सोनामनी ने आगे लिखा कि यह बहुत आसान है. जो आदिवासी नहीं हैं, वह आदिवासियों का दर्द बांट रहे हैं. आदिवासियों और गरीबों की आड़ में डकैत से भी बड़े लुटेरे बन चुके पीडीएस डीलरों को लाभ पहुंचाने की कोशिश हो रही है. उन्होंने कहा कि जब एक-एक आदमीके मतदाता पहचान पत्र का पुनरीक्षण हो सकता है, तो एक-एक आदमी के राशन कार्ड की जांच क्यों नहीं हो सकती? सरकार को इस मुद्दे पर आगे बढ़ना चाहिए.

उन्होंने आगे लिखा कि गरीब और आदिवासी का बहाना बनाकर लूटने और सरकार पर आरोप लगाने का अधिकार किसी को नहीं मिलना चाहिए. ‘आधार’ को मंत्री जी जारी रखिये. साथ ही राशन कार्ड बनाने की प्रक्रिया को आसान तथा ऑनलाइन कर दिया जाये, ताकि जरूरतमंदों को तत्काल राशन कार्ड मिल सके और वह सरकार की योजना का लाभ ले सके.

वहीं, फुसरो के नरेंद्र गुप्ता ने ‘राशन__बनाम__आधार’ हैशटैग के साथ लिखा, ‘उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार देश में करीब 95% लोगों का आधार बन गया है. बचे लोगों में ज्यादातर 5 वर्ष या उससे कम उम्र के बच्चे हैं. शायद ही कोई परिवार होगा, जिसमें किसी न किसी वयस्क सदस्य का आधार कार्ड नहीं बना हो!’

झारखंड : संतोषी की मौत पर रघुवर ने दिया जांच का आदेश, सरयू का ट्वीट – बिना आधार वाले भी राशन के हकदार

वह आगे लिखते हैं, ‘लोगों के अनुसार, राशन कार्ड बनाने में अनेक कठनाईयां हैं. डीलर, मुखिया, पंचायत सेवक, बीडीओ, सप्लाई ऑफिसर के चक्कर लगाते-लगाते हजारों खर्च हो जाते हैं. लेकिन, ‘आधार’ बनाने के बारे कोई ऐसी शिकायत नहीं करता. यह मुफ्त में 10 मिनट में किसी प्रज्ञा केंद्र में बन जाता है. ऐसे में आधार की अनिवार्यता पर प्रश्न उठाना बेमानी लगता है. एक-दो अपवाद के कारण पूरी व्यस्था को दोषपूर्ण बतना जल्दबाजी होगी.

नरेंद्र गुप्ता ने कहा कि आज इस व्यस्था से 95% लोगों को राशन मिल रहा है. इसे नजरअंदाज करना घातक सोच है. उन्होंने कहा कि जिस कोयली परिवार को बिना आधार का बताया जा रहा है, प्राप्त सूचना के अनुसार, उसके भी आधार बने हुए थे. जब संतोषी की मां स्वस्थ्य हैं, उसका 3-4 साल का भाई स्वस्थ है, तो क्या संतोषी ही भूखी थी!

सिमडेगा में बच्‍ची की मौत के बाद पहुंचे बाबुलाल मरांडी ने कहा, सिस्‍टम की खराबी से सरकारी योजनाएं फेल

जमशेदपुर के बिजय भगत लिखते हैं, ‘सरजी, डीबीटी लागू मत करो. नहीं तो जरूरतमंद राशन नहीं ले सकेगा. बैंक से पैसा घर लाते-लाते रास्ते में बहुत सारी जरूरतें होंगी और उसके सारेपैसे खर्च हो जायेंगे. पैसे खर्च हो जायेंगे, तो फिर उस परिवार का क्या होगा, जरा सोचिए!

देवघर में रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता कुंदन कुमार ने राशन डीलरों को बेईमान करार दिया. कहा कि मशीनें सही हैं, डीलर ही बेईमान हैं. हर वक्त सोचता है कि कैसे मशीन फेल हो जाये और वह लूटना शुरू कर दे.

झरिया में बीमार रिक्शा चालक की मौत, घर में नहीं था अनाज

वहीं, देवघर में रहने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ता ब्यास कुमार मिश्र कहते हैं कि सरकारी तंत्र ही सरकार को सबसे बड़ा दर्द दे रहा है. उन्होंने कहा कि व्यवस्था तो डिजिटल हो गया है, लेकिन लूट की प्रवृत्ति के चलते इसमें विसंगतियां उत्पन्न हो गयी हैं. सरकारी तंत्र की मानसिकता डिजिटल नहीं हो पायी है. इन्हें कुछ समझ नहीं आता. ये लोग निष्क्रिय हैं.

ब्यास कुमार के मुताबिक, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा से जुड़े सैकड़ों मामले उनके पास आते हैं. उसका वह निराकरण भी करते हैं. अंगूठा से EPoS मशीन सक्रिय नहीं होने का कोई केस नहीं है. अनेक सदस्यों में किसी का अंगूठा नहीं लगेगा, ऐसा नहीं है. अगर एक-आध मामला है भी, तो OTP से सक्रिय हो जाता है. वह कहते हैं कि डिजिटल लेन-देन में हिसाब ठीक नहीं रख पाना तंत्र की अकर्मण्यता को दर्शाता है. ज्यादासे ज्यादा कमा लेने के लिए घपला करने की प्रवृत्ति के चलते आंकड़ों से छेड़छाड़ होती है. शिकायत के बाद सरकार शिकायत करनेवाले को ही गलत समझती है.

देवघर में रूपलाल मरांडी की मौत, घर में नहीं था अनाज

पत्रकार और कला समीक्षक प्रियरंजन वाजपेयी ने लिखा, ‘हमलोगों को मिलकर जनता को बताना चाहिए कि आधार में भी बायोमेट्रिक अपडेट्स होते हैं.’ उन्होंने आगे मजेदार कमेंट किया, ‘बहुत अच्छा काम सरजी. झारखंड में मजदूरी करने वालों के पास आधार नंबर है, पर काम करने की वजह से फिंगर्स में चेंज आ जाता है, तो प्रॉब्लम होती है.’

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें