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भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन के विरोध में 25 फरवरी को झारखंड में चक्का जाम
रांची: राजी पड़हा, 22 पड़हा, मानकी-मुंडा, मांझी-परगनैत, आदिवासी सरना महासभा व परंपरागत स्वशासन के अगुवे व सामाजिक संगठन भू-अर्जन कानून 2013 में संशोधन के खिलाफ 23 अक्तूबर को प्रखंड स्तर, आठ नवंबर को जिला स्तर और 24 नवंबर को प्रमंडल स्तर पर धरना-प्रदर्शन करेंगे. 24 व 25 फरवरी को पूरे झारखंड में चक्का जाम किया […]
रांची: राजी पड़हा, 22 पड़हा, मानकी-मुंडा, मांझी-परगनैत, आदिवासी सरना महासभा व परंपरागत स्वशासन के अगुवे व सामाजिक संगठन भू-अर्जन कानून 2013 में संशोधन के खिलाफ 23 अक्तूबर को प्रखंड स्तर, आठ नवंबर को जिला स्तर और 24 नवंबर को प्रमंडल स्तर पर धरना-प्रदर्शन करेंगे. 24 व 25 फरवरी को पूरे झारखंड में चक्का जाम किया जायेगा़ यह निर्णय सोमवार को संगम गार्डेन में शनिचरवा मुंडा, डेरे संगा पड़हा की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया़.
वक्ताओं ने कहा कि भू-अर्जन कानून 2013 के अनुसार, जमीन अधिग्रहण से पूर्व जमीन मालिकों की सहमति लेना जरूरी था. पर राज्य सरकार ने संशोधन कर यह प्रावधान हटा दिया है. सरकार ने सामाजिक समाघात निर्धारण अध्ययन का प्रावधान भी समाप्त किया है, जिसमें सरकार के लिए ग्रामसभा व पंचायत से परामर्श करना जरूरी था़ इन संशोधनों द्वारा सरकार ने ग्रामसभा, पंचायत व्यवस्था, पेसा कानून व संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकार समाप्त कर दिये हैं. सरकार ने संशोधनों से ध्यान हटाने के लिए धर्मांतरण कानून लाकर आदिवासियों को बांटने की कोशिश की.
बैठक में देवकुमार धान, प्रभाकर तिर्की, सघनु भगत, देवेंद्रनाथ चंपिया, जुगल किशोर पिंगुआ, मंगल सिंह बोंबोंगा, रमेश जेराई, बैजू मुर्मू, रामचंद्र मुर्मू, नरेश मुर्मू, कुमार चंद्र मार्डी, अनिल भगत, प्रभुदयाल उरांव, दीनू उरांव, सनिका संगा, सुनीता उरांव, इंद्रदेव उरांव, तेतर उरांव, नारायण उरांव, बुधवा उरांव आदि शामिल थे.
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