सरकार को भेजी गयी रिपोर्ट में कहा गया है कि उपभोक्ताओं की सहूलियत के लिए इस कंपनी को एटीपी मशीन लगाने का काम बिजली बोर्ड(अब बिजली वितरण निगम) ने वर्ष 2012 में दिया था. कंपनी के साथ किये गये एकरारनामे को संशोधित करते हुए वर्ष 2015 में रिन्यू किया गया. इसमें एटपी मशीन से किये गये लेन-देन का डाटा ट्रांसफर करने का काम जोड़ा गया. एकरारनामे की धारा 1(4) में निहित शर्तों के तहत कंपनी द्वारा उपभोक्ताओं को यूनिक रसीद नंबर देना था.
साथ ही एटीपी मशी के प्रतिदिन का बैकअप संबंधित विद्युत आपूर्ति क्षेत्र के कार्यपालक अभियंता को देना था. एकरारनामे की धारा 1(8) में निहित शर्त के तहत एजेंसी द्वारा बिजली बिल के रूप में वसूली गयी राशि,चेक, ड्राफ्ट आदि उसी दिन कार्यपालक अभियंता के हवाले करना था. रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑडिट के दौरान यह पाया गया कि एजेंसी ने एटीपी मशीन से किये गये लेनदेन का डाटा ट्रांसफर नहीं किया है.
एजेंसी से मिली सॉफ्ट कॉपी पर ही निगम विश्वास करता है. ऑडिट के दौरान पाया गया कि कोकर आपूर्ति क्षेत्र में लगी एटीपी मशीन संख्या 52ने अक्तूबर 2016 से काम करना शुरू किया. हालांकि कंपनी ने इसकी जानकारी निगम को नहीं दी. 28 फरवरी 2017 तक कंपनी ने इस मशीन से यूनिक रसीद संख्या 1-4112 के सहारे उपभोक्ताओं से 24.74 लाख रुपये की वसूली की, लेकिन इसे निगम के सक्षम पदाधिकारी के हवाले नहीं किया.