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झारखंड के पहले स्टील प्लांट इलेक्ट्रोस्टील की होगी नीलामी, निकला टेंडर….जानें क्या है मामला

रांची : झारखंड राज्य बनने के बाद लगे पहले स्टील प्लांट इलेक्ट्रोस्टील की नीलामी होने वाली है. बोकारो जिले के चंदनकियारी स्थित इस प्लांट की नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. इस के लिए परामर्शी प्राइस वाटर हाउस कूपर (पीडब्ल्यूएचसी) ने टेंडर निकाला है, जिसकी अंतिम तिथि नौ अक्तूबर है. पीडब्ल्यूएचसी ने टेंडर […]

रांची : झारखंड राज्य बनने के बाद लगे पहले स्टील प्लांट इलेक्ट्रोस्टील की नीलामी होने वाली है. बोकारो जिले के चंदनकियारी स्थित इस प्लांट की नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. इस के लिए परामर्शी प्राइस वाटर हाउस कूपर (पीडब्ल्यूएचसी) ने टेंडर निकाला है, जिसकी अंतिम तिथि नौ अक्तूबर है.
पीडब्ल्यूएचसी ने टेंडर में भाग लेने के लिए कॉरपोरेट कंपनियों से संपर्क कर नौ अक्तूबर तक टेंडर डालने का आग्रह किया है. प्लांट की नीलामी के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल द्वारा कंसलटेंट नियुक्त किया गया था.बताया गया कि यदि कोई निवेशक इस प्लांट को लेने के लिए तैयार हुआ तो इसकी बोली लगायी जायेगी.
क्या है मामला
गौरतलब है कि कंपनी पर 11,309 करोड़ रुपये का कर्ज है, जिसे कंपनी नहीं चुका रही है. राशि एनपीए में चली गयी है. इसके बाद बैंकों ने इस मामले को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल(एनसीएलटी) कोलकाता में उठाया है. ट्रिब्यूनल ने इससे पहले इंटरिम रेज्यूलेशन प्रोफेशनल(आइआरपी) को नियुक्त किया था. बताया गया कि आइआरपी द्वारा ही एसेट का मूल्यांकन कर बिडिंग की प्रक्रिया आंरभ की गयी है.
2012 से हो रहा है उत्पादन
इलेक्ट्रोस्टील की आधारशिला वर्ष 2008 में की गयी थी. 2012 से कंपनी 1.51 मिलियन टन स्टील का उत्पादनप्रतिवर्ष कर रही है. यहां टीएमटी बार, वॉयर रॉड, पिग आयरन, डीअाइ पाइप व बिलेट्स का उत्पादन होता है.
कंपनी में इस समय नौ हजार मजदूर काम कर रहे हैं. जिनके ऊपर संकट नजर आ रहे हैं. हालांकि जानकार बताते हैं कि भारत सरकार द्वारा बनाये गये एनसीएलटी का मूल उद्देश्य है कि कॉरपोरेट कंपनियां जो डिफाल्टर या जिनका खाता एनपीए हो गया है उन कंपनियों की फैक्ट्रियां बंद न हो बल्कि इसके संचालन में नये प्रमोटर आ जायें या बैंक समझौता कर पुराने प्रमोटर को ही चलाने की जवाबदेही दे.
कोल ब्लॉक रद्द, आयरन ओर का मामला लंबित : बताया गया कि कंपनी को आवंटित पर्वतपुर कोल ब्लॉक चालू हालत में था. पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आवंटन रद्द हो गया. इसका असर कंपनी के उत्पादन पर भी पड़ा. दूसरी ओर फैक्ट्री चलाने के लिए आवश्यक रॉ मटेरियल आयरन ओर है.
कंपनी को कोदलीबाग आयरन ओर माइंस का आवंटन हुआ था. पर इस माइंस का मामला अभी तक वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार के पास लंबित है. कंपनी को बाजार से आयरन ओर खरीदना पड़ता है जिसके चलते मार्केट में उत्पादन प्रतियोगी मूल्यों पर नहीं आ पाते. जानकार बताते हैं कि यही वजह है कि धीरे-धीरे कंपनी को घाटा होने लगा और खाता एनपीए हो गया. कंपनी ब्याज की भारी-भरकम राशि चुकाने में असमर्थता जता दी. इसके बाद मामला एनसीएलटी में चला गया.

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