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झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स का हाल : 28 दिन में मर गये 133 बच्चे

राजीव पांडेय जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल में चार माह में 164 बच्चों की मौत को लेकर अभी जांच पूरी भी नहीं हुई कि राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में इससे भी अधिक भयावह आंकड़ा सामने आया है. रिम्स के रिकॉर्ड के अनुसार, यहां अगस्त माह में 28 दिनों में 133 बच्चों की मौत की […]

राजीव पांडेय
जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल में चार माह में 164 बच्चों की मौत को लेकर अभी जांच पूरी भी नहीं हुई कि राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में इससे भी अधिक भयावह आंकड़ा सामने आया है. रिम्स के रिकॉर्ड के अनुसार, यहां अगस्त माह में 28 दिनों में 133 बच्चों की मौत की बात सामने आ रही है. हालांकि इनकी मौत की वजहें अब तक सामने नहीं आ पायी हैं.
रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में इस साल आठ माह में 739 बच्चों की मौत हो गयी. इन्हें विभिन्न बीमारियों के कारण यहां भरती कराया गया था. रिम्स के शिशु विभाग की आंकड़े की मानें, तो इस माह 28 दिनों में अस्पताल में 133 बच्चों की मौत हो गयी. अब यह जांच का विषय है कि ये बच्चे किस बीमारी से पीड़ित होकर किस स्थिति में यहां भरती कराये गये थे. पर सच्चाई यह है कि ये आंकड़े काफी खौफनाक हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि जिस अस्पताल का एक विभाग यह आंकड़ा प्रस्तुत कर रहा है, उसी के प्रबंधन को भी इतनी बड़ी संख्या में बच्चों की मौत की जानकारी तक नहीं है. पूछे जाने पर प्रबंधन की ओर से कहा गया कि यह आंकड़ा अस्वाभाविक नहीं है. किसी भी मेडिकल कॉलेज के लिए यह सामान्य बात है.
अगस्त में सबसे अधिक मौतें : रिम्स के शिशु विभाग में इस साल जनवरी में 86 बच्चों की मौत हो गयी. फरवरी में 48, मार्च में 95 और अप्रैल में 88 बच्चे मर गये. इसी तरह मई में 107, जून में 69 और जुलाई में 113 बच्चों की मौत हो गयी. सबसे अधिक अगस्त माह में 133 बच्चे मर गये. राज्य अन्य जिलों के सरकारी व निजी अस्पतालों के आंकड़ों को जोड़ दिया जाये, तो बच्चों की संख्या काफी अधिक बढ़ जायेगी. राजधानी के निजी शिशु अस्पतालों के आंकड़े सरकार के पास नहीं हैं.
रिम्स में है एसएनसीयू विंग
रिम्स के शिशु विभाग में 18 बेड का स्पेशल न्यू बॉर्न केयर यूनिट संचालित है. इसमें समय से पहले जन्म लेेनेवाले व निर्धारित से कम वजनवाले बच्चों का इलाज किया जाता है. इस यूनिट में अत्याधुनिक जीवन रक्षक उपकरण लगाये गये हैं. इस विंग को शुरू करने का उद्देश्य शिशु मृत्यु दर में कमी लाना था.
बोले निदेशक : मरीजों को लौटा नहीं सकते
  • रिम्स में अगस्त माह में 133 बच्चाें की मौत हुई है, रिम्स प्रबंधन को पता है?
  • हम हर माह विभागवार भरती मरीजों व मृत मरीजों का आंकड़ा मंगाते हैं. यह आंकड़ा नहीं पता है. हम अपने यहां आये मरीजों को लौटा नहीं सकते हैं. हम इलाज कर बचाने का पूरा प्रयास करते हैं. कई बार हम बचाने में सक्षम नहीं हो पाते हैं.
  • मौत की मूल वजह क्या हो सकती है?
  • जुलाई व अगस्त के महीने में बीमारियां बढ़ जाती हैं. इंसेफलाइटिस, मेंनेजाइटिस व मलेरिया से पीड़ित होने की संभावना रहती है. हम गंभीर रूप से भरती मरीजों में 80 फीसदी को बचाने में सफल भी होते हैं, लेकिन अंतिम अवस्था में आने के कारण मौत होती है.
  • प्रबंधन व विभाग स्तर से क्या उपाय किया जाता है?
  • हमारे स्तर से विभाग को समय-समय पर निर्देश दिये जाते हैं. विभाग भी प्रयास करता है. बेहतर सुविधा दी जाती है. एसएनसीयू में भी भरती कर बचाने का पूरा प्रयास किया जाता है.
जिला जज ने अस्पताल का निरीक्षण किया
जमशेदपुर. पूर्वी सिंहभूम के प्रधान जिला जज व जिला विधिक सेवा प्राधिकार के चेयरमैन मनोज प्रसाद ने मंगलवार को एमजीएम अस्पताल का दौरा किया. बच्चों को मिलनेवाली चिकित्सकीय सुविधाओं का जायजा लिया. अस्पताल अधीक्षक से इससे संबंधित जानकारी ली. उनके साथ डालसा जमशेदपुर के सचिव एसएन सिकदर भी थे. जिला जज सबसे पहले अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर बी भूषण से मिले. चार माह में हुए 164 बच्चों की मौत के मामले की जानकारी ली. कागजात देखे.
अस्पताल अधीक्षक ने इलाज की व्यवस्था, संसाधन, डॉक्टर व स्टाफ से संबंधित जानकारी दी. जिला जज ने अस्पताल परिसर में बने एनआइसीयू व पीआइसीयू का भी निरीक्षण किया. नर्सों से भी पूछताछ की.
हाइकोर्ट को दी जायेगी रिपोर्ट
एनआइसीयू व पीआइसीयू का निरीक्षण करने के बाद जिला जज ने कहा, इस तरह का निरीक्षण डालसा का एक पार्ट है. यहां संसाधन व स्टाफ की काफी कमी पायी गयी. प्रतिदिन मरीजों की काफी संख्या रहती है. स्टाफ पर वर्क लोड ज्यादा है. बच्चों के मौत से संबंधित जानकारी ली गयी है. इसकी रिपोर्ट हाइकोर्ट को सौंपी जायेगी.
एक वार्मर पर तीन-तीन बच्चे का हो रहा इलाज एनआइसीयू में संसाधन व स्टाफ की काफी कमी है
चार वार्मर लगे हैं. एक में तीन-तीन बच्चों को रखा गया है. जबकि एक बच्चे के लिए एक वार्मर व चार बच्चों पर एक नर्स की जरूरत है
अस्पताल अधीक्षक ने जिला जज को बताया कि इस समय एनआइसीयू में 14, पीआइसीयू में पांच व वार्ड में 34 बच्चों का इलाज चल रहा है
पीआइसीयू में एक बच्चे की मौत
– 28 अगस्त की रात पीआइसीयू में इलाजरत बच्चे गौतम की मौत हो गयी
– 26 व 27 अगस्त को भी दो बच्चों की मौत हुई थी
– एनआइसीयू में 14 व पीआइसीयू में पांच बच्चे का फिलहाल इलाज चल रहा है. वार्ड में 34 बच्चों का इलाज चल रहा है. अभी शिशु वार्ड में छह डॉक्टर हैं. कम से कम 12 से 15 डॉक्टर होने चाहिए.
घटना दुखद, जांच के लिए दो टीम गठित : गवर्नर
मंगलवार को जमशेदपुर पहुंची राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने कहा कि एमजीएम अस्पताल में बच्चों की मौत काफी दुखद है. सरकार ने दो टीम गठित की है. एक में सरकार के उच्च पदस्थ अधिकारी हैं. दूसरी टीम में सीनियर साइंटिस्ट शामिल हैं. जांच के बाद जो कुछ निकल कर सामने आयेगा, उसके अनुसार सरकार आगे कदम उठायेगी.

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