रांची : झारखंड के आदिवासी और उनकी पहचान संकट में है. सीएनटी-एसपीटी एक्ट के जरिये रघुवर सरकार आदिवासियों की जमीन उनसे छीनना चाहती है. झारखंड की जमीन यहां के आदिवासियों की है, उसका सौदा करने वाली रघुवर सरकार कैसे हो सकती है. यह कहना है प्रदेश में आदिवासी अधिकारों और जल-जमीन-जमीन के आंदोलन को आवाज देने वाली एक्टिविस्ट दयामनी बारला का.
आज प्रभातखबर डॉट कॉम के लाइव कार्यक्रम में दयामनी बारला और जेरोम जेराल्ड कुजूर ने हिस्सा लिया. जेरोम ने कहा कि सीएनटी एसपीटी एक्ट के जरिये सरकार खेतिहर जमीन की प्रकृति को बदलने की बात कह रही है. ऐसे में आदिवासी किसान ठगे जायेंगे. सरकार आम लोगों से सच छुपा रही है. ऐसे में हम सड़क पर उतरेंगे और इस एक्ट का विरोध करेंगे.
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भाजपा बिरसा मुंडा की बात तो करती है, लेकिन उनके त्याग को भूलकर सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन की बात कर रही है और आदिवासियों की जमीन लूटने की साजिश कर रही है. रघुवर सरकार सिर्फ डींग हांक रही है और आदिवासियों की अस्मिता खतरे में है. रघुवर सरकार जिस विकास की बात कर रही है, दरअसल वह विनाश की राह है. रघुवर सरकार हमारे खेतों और वनोपज को हथिया चाहती है.