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Durga Puja Special: झारखंड का एक अनोखा मंदिर जहां 13 दिनों तक होती है मां दुर्गा की पूजा, 63 सालों से चली आ रही परंपरा

Durga Puja Special: गोला के सोनाठाकुर दुर्गा मंदिर की एक बेहद अनोखी परंपरा है. 10 दिनों तक चलने वाली दुर्गा पूजा यहां 13 दिनों तक मनायी जाती है. प्रतिमा का विसर्जन भी यहां दशमी के बजाय त्रयोदशी यानी 13वें दिन ही होता है.

Durga Puja Special | मगनपुर, छेदीलाल: रामगढ़ जिला अंतर्गत गोला का सोनाठाकुर दुर्गा मंदिर आज पूरे क्षेत्र में आस्था और परंपरा का प्रतीक बन चुका है. यहां पिछले 63 वर्षों लगातार मां दुर्गा की पूजा हो रही है. कहा जाता है कि भट्टाचार्य परिवार के मुखिया सोना ठाकुर उर्फ सुनील भट्टाचार्य को स्वप्न में मां दुर्गा ने मंदिर निर्माण और पूजा करने का आदेश दिया था. उसी स्वप्न को आस्था मानकर परिवार ने यहां पूजा शुरू की और वर्ष 1965 में मंदिर का निर्माण कराया. तब से लेकर आज तक यहां धूमधाम और परंपरागत तरीके से पूजा होती आ रही है.

13 दिनों तक होती है मां दुर्गा की पूजा

सोनाठाकुर दुर्गा मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां दुर्गा पूजा सामान्य 10 दिनों की जगह पूरे 13 दिनों तक होती है. दशमी के दिन प्रतिमा का विसर्जन न होकर त्रयोदशी को नगर भ्रमण के बाद प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है. इस दौरान पूरे क्षेत्र में धार्मिक माहौल चरम पर पहुंच जाता है. श्रद्धालु मां से आशीर्वाद लेने और त्रयोदशी पर विसर्जन देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं.

परंपरा की मजबूती

स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि यहां की पूजा बिल्कुल अलग और विशेष है. लगभग 25 वर्ष पूर्व गोला थाना के एक पदाधिकारी द्वारा दशमी के दिन जबरन प्रतिमा का विसर्जन करा दिया गया था, जिससे श्रद्धालु आहत हुए थे. वहीं विसर्जन के दूसरे दिन ही थाना के अधिकारी के आंखों से खून निकलने लगा और आंखें चली गयी. जिससे थाना के अधिकारी फफक – फफक रो रहे थे. लेकिन तब से अब तक परंपरा मजबूती से कायम है और हर वर्ष त्रयोदशी को ही विसर्जन होता है.

पश्चिम बंगाल से आते हैं पुजारी

मंदिर में पूजा-अर्चना की जिम्मेदारी हर वर्ष पश्चिम बंगाल के वर्द्धमान से आने वाले पुजारियों द्वारा निभाई जाती है. वर्तमान में पुजारी प्रशांत अधिकारी यहां आकर पूजा कराते हैं. वहीं कोलकाता में रहने वाले भट्टाचार्य परिवार के सदस्य सुबीर भट्टाचार्य, सुबेन भट्टाचार्य, सुब्रतो भट्टाचार्य और सुमन भट्टाचार्य अपने पूरे परिवार के साथ गोला पहुंचते हैं और पूजा का आयोजन अपने निजी खर्च से संपन्न कराते हैं.

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उमड़ता है श्रद्धालुओं का सैलाब

दुर्गा पूजा के दौरान यह मंदिर सिर्फ गोला क्षेत्र ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों और राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं का प्रमुख केंद्र बन जाता है. विसर्जन के दिन जमशेदपुर, चितरपुर, पश्चिम बंगाल सहित विभिन्न स्थानों से हजारों लोग यहां जुटते हैं. त्रयोदशी के दिन प्रतिमा का नगर भ्रमण पूरे इलाके को भक्ति और उत्साह से भर देता है.

आस्था और संस्कृति का संगम

सोनाठाकुर दुर्गा मंदिर केवल पूजा-अर्चना का स्थल नहीं है, बल्कि यह आस्था, विश्वास और पारिवारिक परंपरा का जीवंत उदाहरण है. यहां 63 वर्षों से चली आ रही पूजा ने न केवल भट्टाचार्य परिवार को मां दुर्गा से जोड़ रखा है, बल्कि पूरे क्षेत्र को भी एकजुट कर दिया है. आज यह मंदिर दुर्गा पूजा के समय संस्कृति, परंपरा और भक्ति का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है. सच कहा जाये तो सोनाठाकुर दुर्गा मंदिर गोला की पहचान बन चुका है, जहां हर वर्ष हजारों श्रद्धालु आकर मां की आराधना कर अपने जीवन को धन्य मानते हैं.

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Dipali Kumari
Dipali Kumari
नमस्कार! मैं दीपाली कुमारी, एक समर्पित पत्रकार हूं और पिछले 3 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं. वर्तमान में प्रभात खबर में कार्यरत हूं, जहां झारखंड राज्य से जुड़े महत्वपूर्ण सामाजिक, राजनीतिक और जन सरोकार के मुद्दों पर आधारित खबरें लिखती हूं. इससे पूर्व दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट सहित अन्य प्रतिष्ठित समाचार माध्यमों के साथ भी कार्य करने का अनुभव है.

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