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18 वर्ष में फैकल्टी बनीं शुभांशी, अतिथि प्राध्यापक के रूप में आमंत्रित

18 वर्ष में फैकल्टी बनीं शुभांशी, अतिथि प्राध्यापक के रूप में आमंत्रित

:::रजरप्पा के सोशल साइंटिस्ट शुभाशीष चक्रवर्ती की बेटी है शुभांशी रजरप्पा. महज 18 वर्ष की आयु में शिक्षा, लेखन और पर्यावरणीय चेतना के क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ चुकीं शुभांशी चक्रवर्ती अब देश की सबसे कम उम्र की फैकल्टी बन गयी हैं. उन्हें शिवनादर विश्वविद्यालय, दिल्ली-एनसीआर के प्रबंधन अध्ययन एवं उद्यमिता विभाग में अतिथि प्राध्यापक के रूप में आमंत्रित किया गया है. शुभांशी रजरप्पा निवासी और सोशल साइंटिस्ट शुभाशीष चक्रवर्ती की बेटी हैं. पारिवारिक और सांस्कृतिक अनुभवों से प्रेरणा लेकर ही उन्होंने इतनी कम उम्र में यह उपलब्धि हासिल की है. शुभांशी की पहली पुस्तक पास्ट इज फॉरवर्ड मार्च 2025 में प्रकाशित हुई थी. नयी दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आइआइसी) में इसके विमोचन समारोह में राज्यसभा के उपसभापति, वरिष्ठ सैन्य अधिकारी, साहित्यकार और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए थे. यह पुस्तक पौराणिक कथाओं को पर्यावरणीय चेतना से जोड़ते हुए आधुनिक भाषा और पॉप कल्चर के माध्यम से जेनरेशन जेड को भारतीय संस्कृति की गहराइयों से परिचित कराती है.

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