गिद्दी(हजारीबाग). सतकड़िया बस्ती में गुरुवार को परंपरागत ढंग से सरहुल महोत्सव मनाया गया. सरना स्थल पर पाहन सुरेश बेसरा ने दशाराम मांझी, नामनारायण मांझी, बोबिका मांझी, कालीदास मांझी, लखन मांझी, रैना मांझी, लालदेव मांझी, सिदेश्वर, रूपन मांझी, विनोद सोरेन, बहाराम सोरेन, राजेश सोरेन से विधिवत ढंग से पूजा करायी. इसके पश्चात मुर्गे की बलि दी गयी और प्रसाद का वितरण किया गया. समारोह में मुख्य अतिथि झामुमो के वरिष्ठ नेता विनोद किस्कू ने कहा कि झारखंड के आदिवासी पर्यावरण, संस्कृति और समाज को अपने जीवन का आधार मानते हैं. आदिवासी समाज के लोग प्रकृति की पूजा करते है. हमारी संस्कृति प्रकृति से जुड़ी हुई है. इसे सुरक्षित रखने की जरूरत है. झामुमा नेता राजेश टुडू ने कहा कि सरहुल प्रकृति पर्व है. जीवन प्रकृति से है और प्रकृति का आदर हमसभी को करना चाहिए. जिप सदस्य पिंकू देवी ने कहा कि आदिवासी समाज में प्रकृति ही सभी कार्य व रिवाजों का केंद्र बिंदु है. इससे हमें सीख लेने की आवश्यकता है. वर्तमान परिस्थिति में हम सभी को एक साथ मिलकर प्रकृति के संरक्षण के लिए संकल्प लेना चाहिए. समारोह में सतकड़िया बस्ती के युवक-युवतियों ने परंपरागत नृत्य सहित कई सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया. समारोह में ललन बेसरा, सुरेश मांझी, शिवकुमार बेसरा, बबलू सोरेन, सुरेश हांसदा, दिलीप सोरेन, रविकांत सोरेन, आनंद टुडू, मोगल मिस्त्री, शिव प्रकाश, दुर्गा मांझी, कालीचरण मांझी, बसंत, रमेश बेसरा, भगवान दास मांझी उपस्थित थे.
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