रामगढ़. जैन समाज ने रामगढ़ व रांची रोड के जिनालयों में शुक्रवार को उत्तम अकिंचन्य की पूजा की. दशलक्षण महापर्व के नौवें दिन उत्तम अकिंचन्य धर्म की पूजा की गयी. उत्तम अकिंचन्य धर्म पर पंडित निवेश शास्त्री ने बताया कि ममत्व के परित्याग को अकिंचन्य कहते हैं. अकिंचन्य का मतलब होता है मेरा कुछ भी नहीं है. कई बार सबका त्याग करने के बाद भी उस त्याग के प्रति ममत्व हो सकता है. अकिंचन्य धर्म में उस त्याग के प्रति होने वाले ममत्व का त्याग भी कराया जाता है. अकिंचन्य धर्म के अवसर पर स्वर्णमयी जलाभिषेक का सौभाग्य योगेश, निशा सेठी, अशोक, सुनील सेठी, जीवनमल जंबू पाटनी परिवार, राजेंद्र, राजेश चूड़ीवाल, शांतिलाल, राकेश पांड्या परिवार को प्राप्त हुआ. शांतिधारा का सौभाग्य अशोक, सुनील, संजय सेठी परिवार, इंद्रमणि देवी चूड़ीवाल परिवार को प्राप्त हुआ. पारसनाथ जिनालय रांची रोड में अभिषेक व शांतिधारा का सौभाग्य प्रवीण प्रशांत पाटनी परिवार को प्राप्त हुआ. जैन समाज के सचिव योगेश सेठी व मंदिर मंत्री देवेंद्र गंगवाल ने बताया कि समाज के दो सदस्य व्रत का पालन व दो सदस्य दस दिवसीय दशलक्षण व्रत का पालन कर रहे हैं. पारसनाथ जिनालय रांची रोड में भी पंडित पंकज शास्त्री के सानिध्य में कार्यक्रम हो रहा है. श्रवण जैन ने बताया कि दशलक्षण पर्व के अंतिम दिन उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म की पूजा होगी.
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