फोटो फाइल 9आर-11- कैथा का जगन्नाथ मंदिर. रामगढ़. जिले के कैथा स्थित प्राचीन श्री जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के लिए देवस्नान पूर्णिमा का पवित्र स्नान आषाढ़ मास की पूर्णिमा, मंगलवार 11 जून को होगा. यह भव्य रथ यात्रा से पूर्व का महत्वपूर्ण और पारंपरिक आयोजन है, जिसके बाद भगवान 11 जून से 25 जून तक 15 दिनों के लिए अज्ञातवास में चले जायेंगे. 108 घड़ों के औषधीय जल से स्नान मंदिर के मुख्य पुजारी डॉ. बीएन चटर्जी ने बताया कि देवस्नान पूर्णिमा एक पवित्र स्नान अनुष्ठान है. इस दिन भगवान को गर्भगृह से बाहर लाकर स्नान मंडप पर विराजमान किया जाता है. पुरी की परंपरा का अनुसरण करते हुए भगवान को 108 घड़ों के सुगंधित और औषधीय जल से स्नान कराया जायेगा. यह जल विशेष रूप से औषधीय जड़ी-बूटियों और फूलों से तैयार किया जाता है, जो भगवान को शीतलता प्रदान करने और आगामी यात्रा के लिए तैयार करने का प्रतीक है. अज्ञातवास और आयुर्वेदिक उपचार मान्यता है कि अत्यधिक स्नान के कारण भगवान अस्वस्थ हो जाते हैं, इसलिए उन्हें भक्तों के दर्शन से दूर एकांतवास में रखा जाता है. इस 15 दिवसीय अवधि को अज्ञातवास कहा जाता है, जिसमें भगवान को विशेष रूप से उपचारित किया जाता है. मंदिर के राजवैद्य द्वारा तैयार किये गये आयुर्वेदिक काढ़े और औषधियों का सेवन कराया जाता है. इस दौरान भक्तों को भगवान के प्रत्यक्ष दर्शन नहीं मिलते, जिससे उनकी भक्ति और विरह-वेदना और भी प्रगाढ़ होती है. गजवेष दर्शन और श्रद्धालुओं की आस्था श्री जगन्नाथ मंदिर सेवा समिति के सचिव संतोष महतो ने बताया कि यह पुरातन परंपरा का निर्वाहन है और कैथा के जगन्नाथ मंदिर की वर्षों पुरानी परंपरा और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, जो पुरी की मूल परंपरा से जुड़ा है। सेवा समिति के अध्यक्ष सुदर्शन महतो ने कहा कि स्नान के उपरांत भगवान “गजवेष ” (हाथी के रूप) में भक्तों को दर्शन देंगे, जो अत्यंत दुर्लभ और आकर्षक रूप है.
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