उरीमारी : 16 अगस्त से सयाल 10 नंबर भूमिगत खदान के अंदर फंसे कर्मी अशोक कुमार व प्रवेश नोनिया का रविवार को 12 वें दिन भी अता-पता नहीं चल सका. परिजन खदान का चक्कर काट-काट कर परेशान हैं. साथी कामगारों में भी निराशा है. प्रतिदिन अशोक व प्रवेश के परिवार के लोग खदान पहुंच रहे हैं. फरियाद कर रहे हैं.
इधर, रविवार को संयुक्त ट्रेड यूनियन मोरचा ने प्रबंधन को घेरा. कहा कि 12 दिन बीत गये हैं. कोई ठोस रेस्क्यू कार्य नहीं दिख रहा है. दो नया पंप सोमवार सुबह तक मंगवाया जाये. अधिकारी 11 नंबर डीप से रेस्क्यू कार्य को संचालित करें. कोताही बरदाश्त नहीं की जायेगी.
महाप्रबंधक प्रकाश चंदा ने बताया कि सीसीएल मुख्यालय को नये पंप के बाबत जानकारी दी गयी है. बीसीसीएल से पंप भेजा जा रहा है. नेताओं ने कहा कि परिजन और मजदूरों में आक्रोश बढ़ रहा है. नेताओं में प्रभुदयाल सिंह, विंध्याचल बेदिया, अशोक कुमार शर्मा, बासुदेव साव, देवेंद्र कुमार सिंह, सतीश सिन्हा, सुखदेव प्रसाद, अर्जुन सिंह, संजय शर्मा, कार्तिक मांझी, दिनेश करमाली, संजय मिश्रा शामिल थे.
प्रति घंटे तीन सेंटीमीटर घट रहा है पानी : रविवार शाम को प्रबंधन ने बताया कि खदान के अंदर से कुल पांच पंप से पानी निकासी की जा रही है. मेन डीप में हजार-हजार जीपीएम के तीन पंप से पानी निकासी हो रही है. 11 लेवल से 15 सौ जीपीएम व सरफेस से दो समरसेबुल से पानी की निकासी हो रही है. बताया गया कि प्रति घंटा तीन सेंटीमीटर की दर से पानी घट रहा है. इधर, मिली जानकारी के अनुसार 23 अगस्त को 241.30 आरएल, 24 को 241.370, 25 अगस्त को 241.255 आरएल, 26 को 241.045 आरएल, 27 अगस्त को दोपहर एक बजे तक 241.65 आरएल पानी का लेवल खदान के अंदर था. यह आंकड़ा बताता है कि जिस रफ्तार से पानी निकाला जा रहा है, उसी रफ्तार से पानी बढ़ भी रहा है. पंप अपनी क्षमता का 40 प्रतिशत पानी की निकाल पा रहा है.
जेबीसीसीआइ सदस्यों ने प्रबंधन से की मुलाकात : जेबीसीसीआइ के सदस्यों ने महाप्रबंधक प्रकाश चंदा से मुलाकात कर खदान में चलाये जा रहे रेस्क्यू कार्य व दुर्घटना की जानकारी ली. पूछा कि घटना किन परिस्थितियों में हुई. रेस्क्यू में किन संसाधनों को लगाया गया है. सदस्यों में रमेंद्र कुमार, हरिशंकर सिंह, ललन सिंह के अलावा देवेंद्र कुमार सिंह, परदेशी नोनिया शामिल थे. इधर, दि झाकोमयू के केंद्रीय सचिव सुखदेव प्रसाद ने कहा कि सीसीएल के सीएमडी अपनी जिम्मेवारी से भाग रहे हैं. 12 दिन बीत जाने के बावजूद दो दिन यहां रात में पहुंचे हैं. अधिकारियों को फटकार लगाकर चले गये. लेकिन परिजनों से मिलना उचित नहीं समझा. स्थानीय प्रबंधन बेबस बना हुआ है. पूरा संसाधन नहीं मिल रहा है.