निराशा . सयाल भूमिगत खदान से 11 दिन बाद भी नहीं निकाले जा सके मजदूर, परिजनों में मायूसी
उरीमारी : सयाल 10 नंबर भूमिगत खदान में 11 दिनों से फंसे अशोक कुमार व प्रवेश नोनिया को निकालने के लिए शुक्रवार देर शाम कोलकाता से एनएसजी कमांडो के नेतृत्व में पहुंचे नेवी के छह सदस्यीय गोताखोर खदान से बैरंग लौट गये. खदान में लबालब भरे पानी व मलबा के बीच लापता कर्मियों को खोजना काफी मुश्किल थी.
खदान से बाहर निकलने के बाद नेवी के गोताखोरों ने प्रबंधन से कहा कि पानी कम होने के बाद ही वे रेस्क्यू कर सकते हैं. खदान की विपरीत परिस्थिति में उन्हें रेस्क्यू करने का अनुभव नहीं है. हालांकि टीम लीडर एनएसजी कमांडो नवेंद्र सिंह शनिवार को खदान में पुन: संभावनाओं को तलाशने 20 लेवल तक गये. गोताखोरों की पूरी टीम शुक्रवार की रात 10.30 बजे खदान में गयी थी.
टीम पांच घंटे तक मजदूरों की खोजबीन करती रही, लेकिन सफलता नहीं मिली. खदान के साढ़े 19 लेवल डीप में एक गोताखोर करीब 41 मीटर तक अंदर गया था. यहां आधे घंटे तक खोजबीन की. जबकि हॉलेज डीप में 44 मीटर तक अंदर गया. यहां भी करीब आधे घंटे तक खोजबीन की गयी. बताया गया कि गोताखोरों को यहां पर ट्रॉली, पटरी, पाइप, मलबा मिला. एक गोताखोर के ऑक्सीजन सिलिंडर में कुछ तकनीकी दिक्कत भी आ गयी थी.
बाद में उसे सही सलामत ऊपर बुला लिया गया. इधर, जेसीसी मेंबर सह जेएमएस नेता हरिशंकर सिंह, आरकेएमयू के ललन सिंह, देवेंद्र सिंह आैर परदेशी नोनिया 10 नंबर खदान पहुंचे. प्रबंधन से रेस्क्यू कार्य की जानकारी ली. परिजनों से मुलाकात की. कहा कि प्रबंधन रेस्क्यू कार्य को तेज करे.
पांच सौ जीपीएम का पंप फेल : 11 लेवल में लगाया गया पांच सौ जीपीएम का पंप शनिवार सुबह 10.30 बजे मोटर जल जाने के कारण फेल हो गया. बताया गया कि इसके स्थान पर दूसरा पंप भेजा जा रहा है. पानी निकासी के लिए पांच पाइप लाइन के भी जोड़ने का काम अंतिम चरण में है. बताया गया कि एक हजार जीपीएम का तीसरा पंप 19 व 20 लेवल में बैठाने के लिए खदान के अंदर भेज दिया गया है. यहां पर पहले से ही एक-एक हजार के दो पंप से पानी की निकासी हो रही है.
11 लेवल में भी एक हजार जीपीएम पंप से पानी की निकासी हो रही है. इधर, दो समरसेबुल पंपों को भी चालू कर दिया गया है. 10 एचपी के दोनों पंप से दो-दो इंच पानी निकासी हो रही है. यह पंप 235 फीट नीचे से पानी खींच रहा है. बताया गया कि 241.100 आरएल लेवल पानी खदान में मौजूद है. प्रति घंटा तीन-चार सेंटीमीटर के हिसाब से पानी निकाला जा रहा है.
इसके विपरीत शाम को चार-पांच सेंटीमीटर पानी बढ़ने की भी सूचना है. पानी बढ़ने के पीछे वजह बताया गया कि खदान से निकाले गये पानी को जिस ओर से बहाया जा रहा था, वही पानी रिसकर पुन: दूसरे खदानों के रास्ते वापस इस खदान में भर रहा था. इसके बाद प्रबंधन ने डिस्चार्ज स्थल के पास से बड़ा ड्रेन बना कर इस संभावना को खत्म कर दिया है.
परिजनों ने लगाया उदासीनता का आरोप : शनिवार को हॉलेज घर के पास जहां खदान से पानी का डिस्चार्ज हो रहा था, वहां अशोक कुमार का पुत्र विशाल व प्रवेश नोनिया का पुत्र अखिलेश ने कहा कि 11 नंबर से पांच सौ जीपीएम का पंप सुबह से खराब है. 19 लेवल डीप से पानी का डिस्चार्ज प्रेशर से नहीं हो रहा है. 11 दिन हो गया है. हमारे पिताजी अंदर फंसे हैं. प्रबंधन ने अभी तक नया पंप क्यों नहीं मंगाया है. खराब पंप को अंदर भेज दिया जा रहा है. इसके कारण पानी निकासी में परेशानी हो रही है. प्रबंधन रेस्क्यू कार्य में सीरियस नहीं है.
लीड के साथ) खदान में फंसे मजदूरों को निकालने में प्रबंधन नाकाम : अमित
भुरकुंडा. कांग्रेस के कोयलांचल विधायक प्रतिनिधि अमित कुमार प्रसाद ने कहा है कि बरका-सयाल क्षेत्र के 10 नंबर खदान में दो मजदूरों को 11 दिन बीत जाने के बाद भी स्थानीय प्रबंधन निकालने में नाकाम रहा है.
उन्होंने कहा कि तीन दिनों के अंदर मजदूरों को नहीं निकाला गया, तो कांग्रेस पार्टी प्रबंधन के खिलाफ आंदोलन शुरू कर देगा. अब तक प्रबंधन सिर्फ दिखावटी रेस्क्यू कर रहा है. पानी निकासी के नाम पर लाखों रुपये अब तक खर्च हुआ है. स्थानीय प्रबंधन मजदूरों की सुरक्षा की अनदेखी कर काम करा रहा है.