पर्वाधिराज पर्यूषण पर्व का दूसरा दिन प्रतिनिधि, मेदिनीनगर जैन धर्मावलंबियों के पर्वाधिराज पर्यूषण पर्व के दूसरे दिन शुक्रवार को मार्दव धर्म का पूजा विधान हुआ. जबलपुर से आये प्रतिष्ठाचार्य अन्नू भैया ने पूजा अनुष्ठान के बाद मार्दव धर्म की विस्तृत व्याख्या की.उन्होंने कहा कि धर्म के 10 लक्षणों में मार्दव धर्म काफी महत्वपूर्ण है.क्योंकि यह धर्म व्यक्ति के सौम्यता, कोमलता, नम्रता और दयालुता को दर्शाता है. यह धर्म व्यक्ति को अहंकार या अभिमान का त्याग कर विनम्र बनने की प्रेरणा देता है.अभिमान का त्याग कर विनम्रता धारण करने में ही सच्चा सुख निहित है. मार्दव धर्म के पालन करने से करुणा बढ़ती है, इंद्रियों पर नियंत्रण होता है और व्यक्ति संसार सागर से पार हो जाता है. उन्होंने कहा कि यह धर्म व्यक्ति को अपने ज्ञान, धन, रूप, या किसी भी अन्य श्रेष्ठता पर घमंड करने से रोकता है, दूसरों के प्रति उदारता और दया का भाव रखना सिखाता है. यह धर्म बुरे विचारों के विकास को रोकता है और कड़वाहट को खत्म करता है. मार्दव धर्म से दृष्टिकोण शुद्ध होता है और मनुष्य स्वयं के साथ-साथ तीनों लोकों के प्राणियों के लिए कल्याणकारी बन सकता है. यह धर्म ज्ञान व श्रद्धा के माध्यम से आत्मा को शुद्ध कर शांति प्रदान करता है. इस धर्म से यह सीख मिलता है कि किसी भी व्यक्ति को अपने धर्म,जाति, धन, बल व पद का अहंकार नही करना चाहिए.क्योंकि यह सभी नश्वर है. अभिमान का त्याग कर विनम्रता धारन करने वाले सुख-शांति के मार्ग पर चलते है. जैन मंदिर में सुबह भगवान श्रीजी का अभिषेक व पूजा विधि-विधान से हुआ. बबीता जैन काला ने संगीत के माध्यम से वातावरण को भक्तिमय बना दिया. अनिल काला, डॉ जय व जिनेंद्र काला को प्रथम अभिषेक व शांति धारा का सौभाग्य प्राप्त हुआ. जबकि सुभाष कुमार जम्मू कुमार गंगवाल ने श्रावक श्रेष्ठी के रूप में धर्म लाभ प्राप्त किया. मौके पर जैन समाज के अध्यक्ष सरस जैन, सचिव सागर जैन, विनय बाकलीवाल, रितेश पाटनी, अंकूर रारा , पम्मी विनायका, हीरा रारा सहित काफी संख्या में जैन समाज के लोग पूजा अनुष्ठान में शामिल थे.
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