सतबरवा. सदर प्रखंड क्षेत्र के लहलहे गांव में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत पुराण कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन कथा वाचक मारुति किंकर जी महाराज ने रुक्मिणी हरण एवं रास लीला जैसे महत्वपूर्ण प्रसंगों का भावपूर्ण वर्णन किया. कथा की शुरुआत में किंकर जी महाराज ने रुक्मिणी के जन्म, स्वभाव, विद्या व भगवद्भक्ति पर प्रकाश डालते हुए बताया कि रुक्मिणी जी ने बचपन से ही श्रीकृष्ण को अपने हृदय में बसा लिया था. उन्होंने राजा भीष्मक की पुत्री होते हुए भी राज्य और धन के मोह को त्याग कर कृष्ण को ही अपना परम प्रिय माना. जब अपने विवाह के लिए श्रीकृष्ण को पत्र लिखा और उनके प्रेम के लिए समाज और बंधनों से ऊपर उठीं, तो वह केवल एक प्रेमिका नहीं, बल्कि भक्ति की आदर्श प्रतीक बन गयी. किंकर जी महाराज ने बताया कि कैसे श्रीकृष्ण ने रथ लेकर रुक्मिणी जी का हरण किया और शिशुपाल जैसे अभिमानी राजा को पराजित कर प्रेम और धर्म की विजय सुनिश्चित की. उन्होंने बताया कि रास लीला केवल एक नृत्य या मनोरंजन नहीं, बल्कि आत्मा और परमात्मा के मिलन की दिव्य अवस्था है. किंकर जी महाराज ने कहा कि रास लीला कोई सांसारिक प्रेम कथा नहीं, बल्कि यह उस अध्यात्म की पराकाष्ठा है, जहां अहंकार समाप्त होता है और केवल भक्ति शेष रहती है. श्री कृष्ण की भक्ति के कारण ही गोपियां समाज का परवाह किये बगैर भक्तिवश चरणों दौड़ी चली आती थीं. इस दौरान श्री कृष्ण भजनों से श्रद्धालु विभोर हो गये. कथा आयोजक विवेकानंद त्रिपाठी ने बताया कि 26 मई को यज्ञ की पूर्णाहुति के बाद विशाल भंडारे का आयोजन किया गया है, जिसमे सभी श्रद्धालु सादर आमंत्रित हैं.
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