एन दीक्षित छात्रावास परिसर में करम पूजा महोत्सव का आयोजन फोटो 3 डालपीएच 2,3 प्रतिनिधि, मेदिनीनगर शहर के जीएलए कॉलेज के जेएन दीक्षित छात्रावास परिसर में बुधवार को करम पूजा महोत्सव धूमधाम से मनाया गया. पलामू प्रमंडलीय आदिवासी छात्र संघ ने इस महोत्सव का आयोजन किया. मुख्य अतिथि नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ दिनेश कुमार सिंह व विशिष्ट अतिथि सेवानिवृत प्राध्यापक डॉ कैलाश उरांव ने अखरा में करम गोसाई की विधिवत पूजा अर्चना किया. उन्होंने समाज में सुख-शांति का वातावरण कायम रखने की कामना की.इसके बाद अतिथियों ने आदिवासी युवक-युवतियों के साथ मांदर बजाते हुए पलामूवासियों को करम परब की शुभकामना दी. ज्योति हॉस्टल की छात्राओं ने अतिथियों के सम्मान में स्वागत गीत प्रस्तुत किया. डॉ ललिता भगत, डॉ संजय बाड़ा, विकास टोपन्नो ने अतिथियों को शॉल ओढ़ाकर व पौधा देकर सम्मानित किया. पूजा समारोह में मुख्य अतिथि कुलपति डॉ दिनेश कुमार सिंह ने करम पर्व को प्रकृति से जुड़ा पर्व बताया. उन्होंने कहा कि करम परब झारखंड की संस्कृति की पहचान है. यह पर्व प्रकृति से प्रेम करते हुए उसकी रक्षा करने का संदेश देता है.पलामू में पेड़-पौधों की कमी के कारण अधिक गमी के साथ-साथ जल संकट का सामना भी लोगों को करना पड़ रहा है. प्रकृति पर्व के असली मर्म को समझते हुए पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन करने के लिए सार्थक प्रयास करना चाहिए. यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को भी मजबूत बनाता है. विशिष्ट अतिथि डॉ कैलाश उरांव ने कहा कि करम परब से लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. पलामू सहित पूरे झारखंड में धार्मिक उल्लास के साथ यह पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह पर्व अच्छा कर्म करने की प्रेरणा व प्रकृति से जुड़कर रहने की सीख देता है. हमारे पूर्वज प्रकृति के बीच रहकर उसकी रक्षा करते थे. उनका यह मानना था कि प्रकृति ही हमारे लिए सब कुछ है. इसकी रक्षा करेंगे, तभी हमारी रक्षा होगी. पर्यावरण संरक्षण व संवर्द्धन पर जोर दिया. कहा कि लोगों को अधिक से अधिक पौधा लगाने और पेड़ों को बचाने की जरूरत है. विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ शैलेश मिश्रा, कुलानुशासक डॉ आरके झा, डीएसडब्लू डॉ एसके पांडेय, वित्त पदाधिकारी डॉ विमल सिंह, सीसीडीसी डॉग़ मनोरमा सिंह ने करमा को प्रकृति से जुड़ा पर्व बताया. उन्होंने कहा कि करमा व सरहुल झारखंड की सांस्कृतिक पहचान है. जिसे विकसित करने की आवश्यकता है. करमा परब प्रकृति के बीच रहते हुए उसकी रक्षा करने का संदेश देता है. उन्होंने कहा कि धरती पर जीवन आबाद रहे, इसके लिए पेड़ पौधा बहुतायत संख्या में होना चाहिए. प्रकृति से ही जीवन मिलता है. प्रकृति ही धरती पर जीवन का आधार है. इस पर्व की महत्ता को समझने की जरूरत है. कहा कि देश के कई क्षेत्रों में आदिवासी समाज के लोग करम पर्व मनाते हैं, बदलते परिवेश में प्रकृति के साथ-साथ अपनी भाषा, संस्कृति व पूर्वजों के संस्कार को बचाने की जरूरत है. कार्यक्रम का संचालन डॉ बर्नाड टोप्पो, अनिता कुमारी, इंदू मिंज ने संयुक्त रूप से किया. मौके पर डॉ विभेष कुमार चौबे, डॉ संगीता कुजुर, डॉ महेंद्र राम, बलराम उरांव, रंजन यादव सहित काफी संख्या में लोग मौजूद थे अखरा में करम डाली स्थापित कर पूजा-अर्चना अदिवासी छात्र छात्राओं ने अखरा को सजाया और विधिवत करम डाली स्थापित किया. पाहन इंद्रदेव उरांव ने धर्म विधान के मुताबिक करम गोसाई की पूजा अनुष्ठान कराया. इसके बाद युवक-युवतियों ने मांदर की थाप पर थिरकते हुए करम पर्व से जुड़े गीत पर नृत्य प्रस्तुत किया. इस दौरान गुचा भइया रे, खेल ओथरा, सातो भइया सातो करम गाड़े, सातों गोतनी सेवा करें सहित कई गीत प्रस्तुत किया. कार्यक्रम को सफल बनाने में पूजा संघ के अध्यक्ष विशेष उरांव, उपाध्यक्ष अमिता कुमारी, सचिव रौशन प्रकाश सिंह, उप सचिव सुशीला कुमारी, नरेश सिंह, प्रिया कच्छप सहित कई छात्र-छात्राएं सक्रिय थे.
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