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कोरोना काल में पलामू में सिख समुदाय ने पेश की सेवा की मिसाल, ऑक्सीजन के साथ ज़रूरतमंदों के घर तक पहुंचा रहे खाना

जब भी इस देश को, समाज को जरूरत हुई, सिख समाज के लोग आगे आये हैं. मेदिनीनगर में भी जब जरूरत हुई, इस समाज ने सेवा की मिसाल कायम की. अभी भले ही इनकी संख्या पलामू में कम हो गयी है पर इसका प्रभाव सेवा कार्य पर कभी नही पड़ा. बात यदि कोरोना काल की हो तो पहले कोरोना काल से लेकर अब तक सिख समाज के लोगों ने मेदिनीनगर में सेवा की अदभुत मिसाल कायम की.

पलामू : एक समय था जब पलामू के व्यपार, ठेकेदारी व अन्य आर्थिक स्रोतों पर सिख समुदाय के लोगों की बहुलता थी . समय के साथ यहां से कई कारणों से भारी तादाद में सिख समुदाय के लोग बाहर जाकर शिफ्ट हो गये. वर्तमान समय मे मेदिनीनगर की बात करें तो 50 के आस-पास सिख परिवार के लोग मेदिनीनगर में है. पूरी दुनिया मे जहां भी सिख समुदाय के लोग हैं, वहां वे अपने सेवा भाव के लिए जाने जाते है.

जब भी इस देश को, समाज को जरूरत हुई, सिख समाज के लोग आगे आये हैं. मेदिनीनगर में भी जब जरूरत हुई, इस समाज ने सेवा की मिसाल कायम की. अभी भले ही इनकी संख्या पलामू में कम हो गयी है पर इसका प्रभाव सेवा कार्य पर कभी नही पड़ा. बात यदि कोरोना काल की हो तो पहले कोरोना काल से लेकर अब तक सिख समाज के लोगों ने मेदिनीनगर में सेवा की अदभुत मिसाल कायम की.

समाज के सारे लोग अपने स्तर से कोरोना काल मे आगे आकर जरूरतमंदों के साथ खड़ा रहे. इन सब में सबसे सक्रिय भूमिका युवा गुरवीर सिंह गोलू की रही है . गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष सतवीर सिंह राजा के पुत्र गुरवीर ने कोरोना काल मे सेवा की ऐसी मिसाल पेश की, जिसकी चर्चा आम जनों के साथ प्रशासनिक हल्कों में भी है इसके अलावा समाज के चनप्रीत सिंह जॉनी, बॉबी वालिया, बंटी वालिया, रतन सिंह, मन्नत सिंह बग्गा, परनीत सिंह, गोविंद सिंह, जितेंद्र सिंह, हरजीत सिंह, इंद्रजीत सिंह डिम्पल, अविनाश आनंद आदि जी जान से जुड़ गये.

आर्थिक मदद के लिए सतवीर सिंह राजा के अलावा, धर्मवीर सिंह, कुलदीप सिंह जैसे लोग आगे आये और आश्वासन दिया कि कोरोना पीड़ित लोगों के लिए जो भी करना चाहते हो, करो पैसों की कोई कमी नहीं होगी, और वाकई ऐसा ही हुआ. समाज की महिलाएं कोरोना के डर को नजरअंदाज कर जरूरतमंदों के लिए पका हुआ भोजन बनाने से लेकर कच्चा अनाज का पैकेट बनाने में जुट गयी. इस तरह खालसा जत्था का काम शुरू हुआ.

पहले लॉक डाउन में स्थानीय असहाय व जरूरतमंदों के साथ-साथ बाहर से आये प्रवासी मजदूरों को लगातार रात-दिन भोजन कराया गया. जिला प्रशासन को भी जहां भोजन उपलब्ध कराने में दिक्कत हुई वहां गुरवीर और खालसा जत्था के साथी एक सूचना पर सैकड़ों लोगो का भोजन एक घंटे में बनाकर पहुंच जाते.

दूसरी कोरोना लहर के कहर में लोगों को भोजन से भी ज्यादा जिस चीज की जरूरत थी वह था ऑक्सीजन. जब पलामू में ऑक्सीजन की कमी से लोगों की जान तक जाने लगी, प्रशासन के पास मांग के मुताबिक ऑक्सीजन नहीं था, तब फिर से एकबार खालसा जत्था इस संकट का सामना करने के लिए सामने आया. इस बार गुरवीर ने निजी प्रयास से लाखों रुपये की ऑक्सीजन सिलिंडर, ऑक्सीमीटर, रेगुलेटर रांची व अन्य शहरों से मंगवा कर जरूरतमंदों को उपलब्ध कराया.

एक समय ऐसा भी आया जब लोगों तक ऑक्सीजन पहुंचाने के क्रम में गुरवीर और उनके कई साथियों को रात-रात भर जगना भी पड़ता था. एक फोन पर खालसा जत्था के सदस्यों ने उपलब्धता के आधार पर लोगों की मदद की. इसी समय गुरवीर खुद कोरोना पाॅजिटिव हो गये पर सेवा कार्य में इसका कोई असर नही आने दिया. अब आगे मोर्चा संभालने के लिए चनप्रीत सिंह जॉनी, बॉबी वालिया, बंटी वालिया आदि जी जान से जुट गये. इस तरह से अभी भी खालसा जत्था मजबूत और नेक इरादों के साथ कोरोना काल मे अपनी सेवा दे रहा है.

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