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सरायकेला जिले की रिपोर्ट……

सरायकेला जिले की रिपोर्ट……धान के साथ सब्जी व दलहन भी हो रहा नष्ट सरायकेला. मानसून की दगाबाजी के कारण जिला में इस बार सुखाड़ की स्थिति पैदा हो गयी है. धान के साथ-साथ सब्जी, दलहन सहित अन्य खेती पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है. जून व जुलाई माह में हुई बारिश के कारण किसानों में […]

सरायकेला जिले की रिपोर्ट……धान के साथ सब्जी व दलहन भी हो रहा नष्ट सरायकेला. मानसून की दगाबाजी के कारण जिला में इस बार सुखाड़ की स्थिति पैदा हो गयी है. धान के साथ-साथ सब्जी, दलहन सहित अन्य खेती पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है. जून व जुलाई माह में हुई बारिश के कारण किसानों में अच्छी फसल होने की उम्मीद जगी थी परंतु अगस्त माह से मानसून के रूठ जाने से किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया. बारिश के अभाव में खेत पूरी तरह सूख गये हैं और धान की फसल अब जलने लगी है. किसानों का कहना है कि पहले तो ऊपरी जमीन के धान बर्बाद हुए थे, अब निचली जमीन के धान भी बरबाद हो गये हैं. नतीजतन धान के पौधे में बाली नहीं लग पा रहे हैं जिससे खेतों में लगी धान के फसल अब आवारा पशुओं का निवाला बन रहे हैं. पांच किमी के नाले में 200 से अधिक पंप लगाकर पटाने की कोशिश – हथिया नक्षत्र में बारिश पर टिकी है किसानों की उम्मीदजमशेदपुर : अगस्त अौर सितंबर में सामान्य से कम बारिश होने के कारण जिले के किसानों का बुरा हाल है. खेतों में लगी धान, टमाटर और अन्य फसल बर्बाद हो रही है. धान की फसल से बाली (अनाज) निकलने वाली है, लेकिन खेतों में पानी नहीं है. इस कारण खेतों में दरार पड़ रहे हैं. जिले में सिंचाई की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण किसान वर्षा के पानी पर निर्भर हैं. बारिश नहीं होने के कारण नीचे के खेत (दोन 1) भी सूख चुके हैं. स्थिति का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कृषि प्रधान पटमदा क्षेत्र के गोबरघुसी स्थित टोटको नाले में खेतों की सिंचाई के लिए 5 किमी पर 2 सौ पंप सेट लगाये गये हैं. दोपहर होते-होते नाले का पानी भी सूख जाता है. अगस्त और सितंबर माह में सामान्य से काफी कम बारिश हुई है. अगस्त में जहां 290 मिमी बारिश होनी थी, वहीं सिर्फ 154 मिमी बारिश ही हुई. इसी प्रकार सितंबर माह में 192 मिमी की जगह सिर्फ 109 मिमी बारिश ही हुई. किसानों के अनुसार हथिया नक्षत्र (26 सितंबर से नौ अक्तूबर तक) में अगर बारिश होती है, तो कुछ फसल बच सकती है. सिर्फ हथिया नक्षत्र में सामान्य बारिश 543.6 मिमी की है, लेकिन पांच अक्तूबर तक बारिश का नामोनिशान नहीं है. दूसरी ओर कृषि विभाग दावा कर रहा है कि 15 से 18 सितंबर तक 29.4 मिमी बारिश होने के कारण धान की फसल को जीवन दान मिल गया है. रोपनी का आकलन किया जाये ताे सबसे बड़ी मार तेलहन पर पड़ी है. इस वर्ष जिले में सामान्य की तुलना में 69.5 फीसदी ही तेलहन की रोपनी हो पायी है.हथिया में बारिश होती, तो बचती फसल : जदूनाथपटमदा के चुड़दा बांसगढ़ निवासी कृषक जदूनाथ गोराई के अनुसार खेतों की स्थिति काफी दयनीय हो गयी है. धान की फसल में बाली निकलने वाली है अौर खेतों में पानी नहीं है. इस कारण खेतों में दरार पड़ने लगे हैं. हथिया नक्षत्र में बारिश होती है, तो थोड़ी फसल बचेगी. हालांकि फसल जितनी बर्बाद होनी थी, हो चुकी है. पटमदा क्षेत्र में धान के साथ बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती होती है अौर सिंचाई की सुविधा नहीं होने के कारण किसान वर्षा के पानी पर निर्भर हैं. दोन-1 के खेत भी सूख चुके हैं. स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि खेतों में सिंचाई के लिए टोटका नाले में पांच किमी में दो सौ पंप लगाये गये हैं अौर दोपहर होते-होते नाला सूख जाता है. कोल्हान में सबसे बुरी हालत पश्चिम सिंहभूम कीचाईबासा: पश्चिम सिंहभूम जिले के पांच प्रखंड नोवामुंडी, कुमारडुंगी, गुदड़ी, मनोहरपुर व आनंदपुर में सूखे के आसार बन गये हैं. इन प्रखंडों में सामान्य से 50 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गयी है. मनोहरपुर व आनंदपुर प्रखंड में जून से सितंबर तक सामान्य 1196.8 एमएम की तुलना में 623.2 एमएम, साेनुवा व गुदड़ी प्रखंड में 1221.2 एमएम की तुलना में 698 एमएम व नोवामुंडी प्रखंड में 1034.4 एमएम की तुलना में 500.4 बारिश हुई है. वहीं बाकी के 12 प्रखंडों चाईबासा, जगन्नाथपुर, मंझगांव, खुंटपानी, झींकपानी, टोंटो, मंझारी, तांतनगर, हाटगम्हरिया, चक्रधरपुर, सोनुवा व बंदगांव प्रखंड में कम बारिश के चलते आंशिक सूखे के आसार हैं. जबकि गोईलकेरा प्रखंड जून से अगस्त तक सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है. लेकिन सितंबर माह में जिले के सभी प्रखंडों में सामान्य से कम बारिश हुई है. कुल मिलाकर अप्रैल से लेकर सितंबर तक के आंकड़े को देखा जाये तो अप्रैल से जिले में 68 फीसदी बारिश ही रिकाॅर्ड की गयी है.पुआल में बदल गये धान के बिचड़े मनोहरपुर और आनंदपुर की स्थिति ज्यादा खराब है. यहां जुलाई माह में महज 36 मिमी, अगस्त में 78 मिमी तथा सितंबर में 28 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गयी. धान की खेती के लिये औसतन प्रतिमाह 188 मिमी बारिश होनी चाहिये. बारिश नहीं होने से खेतों में दरार पड़ गयी है या धान के बिचड़े पुआल में परिणत हो गये हैं. मनोहरपुर प्रखंड के प्रभारी कृषि पदाधिकारी दुल्लूराम बोदरा ने बताया कि सुखाड़ की स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन से वैकल्पिक खेती के लिये अनुदानित दर पर बीज उपलब्ध कराने की मांग की गयी है. लेकिन अब तक बीज उपलब्ध नहीं हो सकी है. उन्होंने बताया कि दोनों प्रखंडों में रोपनी विधि से 60 फीसदी फसल, छींटा विधि से 10 फीसदी, श्री विधि से 07 फीसदी फसल पर सीधा असर पड़ा है.ासवीर: 30 एम 1 में ईचापीढ़ गांव में खेत में धान के बीचड़े चरते मवेशी-पशु,30 एम 2 में बांदुनासा गांव में खेतों में पड़ी दरार.30 एम 6 में कृषि पदाधिकारी.त्नरतसवीर: 30 एम 4 में मृतका के परिजन व बच्चे अपने घर के सामने,30 एम 5 में अपने नष्ट फसल को दिखाता नवीन तिर्की.

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