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बिना फिल्टर किये ही मिल रहा है पानी

मेदिनीनगर : सुदना पहले ग्राम पंचायत के परिधि में था. नगर पर्षद से प्रमोट होकर जब मेदिनीनगर नगर निगम का गठन हुआ तो शहर से सटे 15 राजस्व गांव को निगम से जोड़ दिया गया. इन गांवों में सुदना पूर्वी और पश्चिमी पंचायत भी शामिल है. इस इलाके में पंचायत के जमाने से ही जलापूर्ति […]

मेदिनीनगर : सुदना पहले ग्राम पंचायत के परिधि में था. नगर पर्षद से प्रमोट होकर जब मेदिनीनगर नगर निगम का गठन हुआ तो शहर से सटे 15 राजस्व गांव को निगम से जोड़ दिया गया. इन गांवों में सुदना पूर्वी और पश्चिमी पंचायत भी शामिल है. इस इलाके में पंचायत के जमाने से ही जलापूर्ति की व्यवस्था है. सुदना ग्रामीण जलापूर्ति से सुदना पूर्वी और पश्चिमी दोनों पंचायत के लोगों को जलापूर्ति की व्यवस्था उपलब्ध करायी जाती है.

नियमित जलापूर्ति तो हो रही है. लेकिन जो जलापूर्ति हो रही है वह किसी काम के लायक नही है. गंदे पानी की आपूर्ति हो रही है. यह कोई एक दिन की समस्या नही है. समस्या काफी पुरानी हो चुकी है. शिकायत करने के बाद भी विभाग गंभीर नही हो रहा है. मजबूरन लोगों ने अब शिकायत करना भी छोड़ दिया है.
लोग यह मान चुके है कि गंदे जल की आपूर्ति ही नियति है. इसमें कहा क्या जाये और समझा क्या जाये? सुदना का इलाका वर्तमान में निगम के कई वार्डों में बट चुका है. फिलहाल गिनती के आधार पर देखे तो इलाके में वार्ड नंबर 2, 8, 9, 10 है. निगम से चुने गये वार्ड पार्षदों के पास जब लोग शिकायत लेकर जाते है तो उनलोगों यह कहते है कि अभी शहरीय सुविधा मिलने में वक्त लगेगा. वैसे सुदना ग्रामीण जलापूर्ति योजना निगम के अधीन नही है.
इसका संचालन पीएचईडी कर रही है जो करना होगा वह पेयजल व स्वच्छता विभाग ही करेगा. वे लोग इस मामले में लाचार है. त्रास्दी भी यही है कि शहर से सटा इलाका है.निगम की परीधि में आ चुका है. पानी ग्रामीण जलापूर्ति योजना से मिल रहा है. वह शहर के जनप्रतिनिधियों के कंट्रोल से बाहर है. ऐसे में सुलगता सवाल है कि इससे प्रभावित लोग आखिर जाये तो जाये कहां ?

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