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31 वर्ष गुजर गये, नहीं मिली जमीन
मेदिनीनगर : मंगलवार से पाटन प्रखंड के शोले गांव के दलित परिवार के नौ सदस्यों ने उपायुक्त कार्यालय के समक्ष आमरण अनशन शुरू कर दिया. झारखंड राज्य दिहाड़ी मजदूर युनियन के बैनर तले दलित परिवारों ने आमरण अनशन शुरू किया है.आमरण अनशन कर रहे दलित परिवार के सदस्य हुलास भुइयां, वैजनाथ मोची, जग्रन्नाथ मांझी, सरस्वती […]
मेदिनीनगर : मंगलवार से पाटन प्रखंड के शोले गांव के दलित परिवार के नौ सदस्यों ने उपायुक्त कार्यालय के समक्ष आमरण अनशन शुरू कर दिया. झारखंड राज्य दिहाड़ी मजदूर युनियन के बैनर तले दलित परिवारों ने आमरण अनशन शुरू किया है.आमरण अनशन कर रहे दलित परिवार के सदस्य हुलास भुइयां, वैजनाथ मोची, जग्रन्नाथ मांझी, सरस्वती कुंवर, राजेश मांझी, शिवनाथ मोची, रुना कुंवर, गिरिवर मोची, श्यामबिहारी मोची ने कहा कि सरकार ने तो 31 वर्ष पहले आजीविका चलाने के लिए जमीन की बंदोबस्ती की.
लेकिन प्रशासन उस जमीन पर अभी तक कब्जा नहीं दिला सकी है. 1987 में 40 एकड़ जमीन की बंदोबस्ती की गयी थी. इसके बाद वे लोग जमीन पर कब्जा दिलाने के लिए पाटन अंचल कार्यालय का चक्कर लगाते रहे.
अंचलाधिकारी व कर्मचारियों ने टाल मटोल करते हुए मामले को लटकाये रखा. इस तरह 31 वर्ष गुजर गये. इतने लंबे समय के अंतराल के अंदर पाटन अंचल में कई अंचलाधिकारी आये, लेकिन किसी ने भी उनलोगों को जमीन पर कब्जा दिलाने की कोशिश नहीं की. चूंकि वे लोग गरीब आदमी हैं, भूमिहीन है, अनपढ़ हैं. इसलिए उनके इस दर्द को कोई नहीं समझ रहा है. पाटन अंचल कार्यालय की उदासीन रवैया के कारण जब उनलोगों का काम नहीं हुआ, तो वे लोग चुप नहीं बैठे, बल्कि जिला प्रशासन से भी गुहार लगायी.
लेकिन कोई भी उपायुक्त या प्रशासनिक पदाधिकारी ने जमीन पर कब्जा नहीं दिला सका. विवश होकर फरवरी माह में आंदोलन का रूख अख्तियार किया. उपायुक्त कार्यालय के समक्ष फरवरी माह में अनशन शुरू किया था. उपायुक्त के निर्देश के आलोक में सदर एसडीओ नंदकिशोर गुप्ता ने अनशन स्थल पर आकर उनलोगों का कागजात का अवलोकन किया और आश्वासन दिया था कि एक माह के अंदर जमीन पर कब्जा दिला दिया जायेगा.
एसडीओ ने जो आश्वासन दिया था, उस पर कोई काम नहीं हुआ. पांच माह गुजर गये. इसके बाद वे लोग पुन: आमरण अनशन करने को विवश है. अनशन स्थल पर यूनियन के बैनर तले सभा हुई. इसकी अध्यक्षता यूनियन के जिलाध्यक्ष गौतम ने की. एटक के महासचिव राजीव कुमार ने कहा कि दलित परिवारों को सुविधा मिले, इसके लिए प्रशासन गंभीर नहीं है. शोले गांव के दलित परिवार के लोग भूमिहीन है. उन्हों सरकार ने खेतीबारी करने के लिए जमीन दिया था.
लेकिन प्रशासन आज तक उन्हें कब्जा नहीं दिला सकी. यह एक गंभीर मामला है. सीपीआइ के सूर्यपत सिंह, जिला सचिव रुचिर कुमार तिवारी, सीपीएम के जिला सचिव सच्चिदानंद नेहरू, झाविमो के जिलाध्यक्ष मुरारी पांडेय,अधिवक्ता नंदलाल सिंह, इप्टा के उपेंद्र मिश्रा, बसपा के जिलाध्यक्ष संतोष गुप्ता, विनोद कुमार, राजेंद्र चौधरी, सैनुल अंसारी, निरंजन कमलापुरी, जमालुद्दीन आदि ने शोले गांव के दलित परिवार के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद किया और उनके आंदोलन का समर्थन किया है.
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