रैली में शामिल लोग 1982 से बंद पड़े सोकरा ग्रेफाइट माइंस को चालू कराने एवं छंटनीग्रस्त 455 मजदूरों की बकाया मजदूरी का भुगतान करते हुए बहाल करने की मांग कर रहे थे. रैली में शामिल लोग बाजार क्षेत्र का भ्रमण करते हुए समाहरणालय पहुंचे और उपायुक्त कार्यालय का घेराव कर रोषपूर्ण प्रदर्शन किया.
मजदूर सभा के अध्यक्ष ललन सिंह व महामंत्री सुदेश्वर सिंह ने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने बंद पड़े सोकरा ग्रेफाइट खदान को चालू कराने व छंटनीग्रस्त मजदूरों की बकाया मजदूरी का भुगतान करने का आदेश दिया है. लेकिन सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी उल्लंघन कर रही है. सरकार के अड़ियल व तानाशाही रवैया के कारण सभी मजदूर दर-दर की ठोकर खाने को विवश है. निरकुंश सरकार खान मजदूरों के दुख दर्द को नहीं समझ रही है. ऐसी स्थिति में आंदोलन के सिवा उनलोगों के पास कोई दूसरा रास्ता नही है. खान मजदूर सभा के सतीश सिंह चेरो, योगेंद्र सिंह, उदय सिंह आदि ने कहा कि सोकरा ग्रेफाइट माइंस के 455 मजदूरों की मजदूरी एक करोड़ 27 लाख रुपये बकाया है .
विभागीय मंत्री ने भी तीन मार्च 2015 को मजदूरों का बकाया मजदूरी भुगतान करने का निर्देश दिया था. इतना ही नहीं तत्कालीन केंद्रीय कोयला व खनन मंत्री रामविलास पासवान में भी 2002 में सोकरा ग्रेफाइट माइंस चालू कराने का आदेश दिया था. राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी 16 जून 2015 को जब चैनपुर में आये थे, तो सोकरा ग्रेफाइट माइंस को चालू कराने की घोषणा की थी. लेकिन सरकार की उदासीन रवैया के कारण न तो माइंस खुला न ही मजदूरों की बकाया मजदूरी का भुगतान ही हुआ. प्रदर्शन के बाद उपायुक्त को मांग पत्र सौंपा गया. मौके पर सोनमतिया देवी, उदय सिंह, नारो देवी, अशर्फी राम, चलितर सिंह, उदेश्वर महतो, सूर्यनाथ महतो, शकुंतला कुंवर सहित काफी संख्या में लोग मजदूर शामिल थे.