हिरणपुर. प्रखंड की आदिवासी महिलाएं अब केवल मजदूरी तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि मुर्गी पालन के जरिए आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से कदम बढ़ा रही हैं. पलाश झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) के तहत सखी मंडल से जुड़कर ये महिलाएं सालाना एक से डेढ़ लाख तक की कमाई कर रही हैं. आदिवासी समाज में पहले से ही मुर्गी पालन की परंपरा रही है, जिसे अब ग्रामीण विकास विभाग और सखी मंडल के सहयोग से आर्थिक रूप से मजबूत किया जा रहा है. इस पहल से महिलाओं को स्वरोजगार का अवसर मिल रहा है, जिससे वे खुद के साथ-साथ अपने परिवार को भी आर्थिक रूप से सशक्त बना रही हैं. ग्रामीण विकास विभाग के सहयोग से संचालित सखी मंडल योजना अंतर्गत महिलाओं को आर्थिक सहायता, प्रशिक्षण और तकनीकी जानकारी दी जा रही है. इससे न केवल महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि पूरे क्षेत्र में रोजगार के नये अवसर भी उत्पन्न हो रहे हैं.
बोलीं महिलाएं
सखी मंडल मेरे लिए वरदान साबित हुआ है. ऋण लेकर मुर्गी पालन शुरू किया और अब सालाना करीब एक लाख रुपये कमा रही हूं.
-होपनमई हांसदामुर्गी पालन मेरे लिए एटीएम बैंक जैसा है. जब भी जरूरत होती है, मुर्गियां बेचकर आसानी से पैसा मिल जाता है, जिससे परिवार चलाने में मदद मिलती है.
-चुड़की पहाड़िनमुर्गी पालन से मेरी आर्थिक स्थिति सुधरी है. अब मेरे बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ रहे हैं और मैं उनके भविष्य को संवारने में जुटी हूं.
-मीनू हांसदामुर्गी पालन से मैंने अपने अधूरे सपने पूरे किए हैं. अब इसे बड़े पैमाने पर व्यवसाय के रूप में अपनाकर अपने परिवार के भविष्य को सुरक्षित कर रही हूं.
-तेरेसा किस्कूडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है