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breaking news: लिट्टीपाड़ा: बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की उम्मीदाें पर लटका ताला

लिट्टीपाड़ा प्रखंड में आयुष अस्पताल की इमारत तो खड़ी है, पर उसमें अक्सर ताला लटका होता है.

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प्रतिनिधि, लिट्टीपाड़ा:

लिट्टीपाड़ा प्रखंड में आयुष अस्पताल का निर्माण इसी सपने को साकार करने के लिए हुआ था किग्रामीण क्षेत्र के लोग भी आसानी से इलाज पा सकें. छोटी-छोटी बीमारियों के लिए दूर शहर न भागना पड़े. लेकिन हकीकत कुछ और है. अस्पताल की इमारत तो खड़ी है, पर उसमें अक्सर ताला लटका होता है. डॉक्टर हैं, मरीज भी हैं… नहीं है तो बस एक व्यवस्थित व्यवस्था, जो इस स्वास्थ्य केंद्र को सही मायने में “अस्पताल ” बना सके. लिट्टीपाड़ा प्रखंड में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में आयुष अस्पताल का निर्माण तो कर दिया गया, लेकिन अब यह अस्पताल खुद बीमार नज़र आ रहा है. जिस सुविधा के लिए लोगों ने उम्मीदें पाली थीं, वह अब ताले में बंद है. अस्पताल अक्सर बंद रहता है, जिससे इलाज के लिए वहां पहुंचने वाले मरीजों को निराश होकर लौटना पड़ता है. आयुष अस्पताल में केवल एक डॉक्टर, डॉ प्रेम प्रकाश कार्यरत हैं, और उनके सहयोग में पांच सहिया शोभा देवी, मेरीला टुडू, तारा देवी, बीटी मराण्डी और सुशन्ना मरांडी हैं. ये सभी सप्ताह में दो से तीन दिन अलग-अलग गांवों में चिकित्सा शिविर लगाकर इलाज करते हैं. नतीजतन, अस्पताल भवन में ताला लटका रहता है.

सोमवार को अस्पताल के गेट पर ताला लगा पाया गया. जानकारी लेने पर पता चला कि अस्पताल की टीम उस दिन गोहंडा गांव में कैंप कर रही थी, जहां 28 मरीजों का इलाज किया गया. डॉ. प्रेम प्रकाश ने बताया कि स्टाफ की भारी कमी के कारण अस्पताल को बंद कर कैंप करना मजबूरी बन चुकी है. एक ही डॉक्टर और सीमित संसाधनों में ओपीडी और आउटरीच कैंप दोनों संभालना बेहद कठिन हो गया है.

स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलती तस्वीर

डॉ प्रेम प्रकाश ने यह भी बताया कि अस्पताल में न तो पर्याप्त स्टाफ है, न ही जरूरी संसाधन. शौचालय और पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं. डॉक्टरों के लिए रहने की व्यवस्था तो है, लेकिन हालात ऐसे हैं कि उन्हें किराए के मकान में रहना पड़ रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि धीरे-धीरे क्षेत्र में होम्योपैथिक चिकित्सा के प्रति जागरूकता बढ़ी है और हर महीने लगभग 400 से अधिक मरीज इसका लाभ ले रहे हैं. इसके बावजूद, अस्पताल की हालत में सुधार नहीं हो पा रहा है, जिससे मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है.

जनहित की उम्मीदों पर ताले की मार

लिट्टीपाड़ा प्रखंड के लोग जहां एक ओर आयुष अस्पताल से उम्मीद लगाए बैठे हैं, वहीं दूसरी ओर व्यवस्था की खामियों के चलते उनका भरोसा टूटता नजर आ रहा है. जरूरत है कि संबंधित विभाग इस ओर गंभीरता से ध्यान दे और अस्पताल को पूरी तरह क्रियाशील बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाये.

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गांव में लगता है मेडिकल कैंप, तो बंद रहता है आयुष्मान अस्पताललिट्टीपाड़ा आयुष अस्पताल में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा का सपना अधूरा

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