पाकुड़, लिट्टीपाड़ा प्रखंड क्षेत्र में जैसे-जैसे गर्मी का पारा चढ़ रहा है लोगों की परेशानी भी बढ़ती जा रही है. लोगों का कंठ गर्मी की तपिश से सूखने लगा है. लोग अपने-अपने घरों में देसी फ्रिज यानी मिट्टी से बना बर्तन खूब खरीद रहे हैं. मिट्टी से बना मटके का पानी किसी फ्रिज से कम ठंडा नहीं है और पानी का स्वाद भी कई गुना बढ़ा देता है. मटके का पानी स्वास्थ्य के लिए काफी उत्तम है. सोमवार को लिट्टीपाड़ा के साप्ताहिक हाट में क्षेत्र मे बढ़ती प्रचंड गर्मी के मद्देनजर देसी फ्रिज की मांग काफी बढ़ गयी. मिट्टी के घड़े की बढ़ती मांग को देखते हुए बाजार में कुम्हार कई किस्म के मिट्टी के बर्तन बेच रहे हैं. कुम्हार ग्राहकों की मांग के अनुरूप विभिन्न प्रकार के घड़ा, सुराही, मटका आदि का निर्माण कर हटिया में बेच रहे हैं. आज भी देसी फ्रिज की मांग समाज के सभी वर्गों में है. खासकर पहाड़ो में जीवन व्यतीत करने वाले आदिम जनजाति पहड़िया, आदिवासी परिवार इसके कायल हैं. बाजार में एक घड़े की कीमत 60 से 90 रुपए तक बिक रही है. आमड़ापाड़ा प्रखंड के बासमती गांव के सुधीर पाल व अनिल पाल ने बताया कि हम लोग 20 वर्षों से इस धंधे से जुड़े हुए हैं. बारहो महीना हमलोग विभिन्न हाट बाजारों में मिट्टी से बने बर्तन बेच कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. पिछले पांच वर्षों से मिट्टी के बने बर्तन की बिक्री में कमी आयी है. गर्मी आते ही मिट्टी के बर्तन की बिक्री कुछ हद तक ठीक-ठाक होती है.
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बाजार में बढ़ने लेगी है देसी फ्रिज मटका व घड़ा की डिमांड
लिट्टीपाड़ा प्रखंड में गर्मी बढ़ते ही लोगों को होने लगी परेशानी
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Prabhat Khabar News Desk
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