पाकुड़िया. भीषण गर्मी ने लोगों का हाल बेहाल कर दिया है, जैसे-जैसे पारा चढ़ रहा है, वैसे-वैसे पाकुड़िया के बाजारों में देसी फ्रिज यानी मिट्टी के घड़ों की मांग बढती जा रही है. पाकुड़िया साप्ताहिक हाट, जो हर शनिवार और मंगलवार को लगता है. वहां मिट्टी से बने बर्तनों की बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. स्थानीय निवासी धूप की तपिश से राहत पाने और शुद्ध ठंडा पानी पीने के लिए मिट्टी के मटके, घड़ा, सुराही आदि खरीद रहे हैं. विशेषज्ञों की मानें तो मटके का पानी न केवल प्राकृतिक रूप से ठंडा होता है, बल्कि स्वास्थ्यवर्धक भी होता है. इस कारण से आज भी समाज में देसी फ्रिज की लोकप्रियता बनी हुई है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां बिजली की आपूर्ति अनियमित है. मोंगलाबांध, आमकोना और गणपुरा गांव के कुम्हार इस व्यवसाय से वर्षों से जुड़े हुए हैं. मोंगलाबांध के कुम्हार फागु पाल, नीलकंठ पाल, सुबोध पाल और विष्णु पाल का कहना है कि वे बीस वर्षों से इस काम में लगे हैं, लेकिन अब महंगाई के कारण मुनाफा कम हो गया है. मिट्टी, लकड़ी और अन्य कच्चे सामान की कीमतों में भारी वृद्धि हुई है. बताया कि एक ट्रैक्टर मिट्टी की कीमत अब 2000 रुपये तक पहुंच गयी है, वहीं लकड़ी 8 से 10 रुपये प्रति किलो बिक रही है. फिर भी, बढ़ती मांग को देखते हुए कुम्हारों ने विभिन्न डिजाइनों के घड़े तैयार किए हैं. गर्मी के मौसम में बिक्री थोड़ी बढ़ जाती है, जिससे उन्हें अपने परिवार के लिए कुछ राहत मिलती है.
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