हरिणडंगा हाइस्कूल मैदान में नौ दिवसीय श्रीराम कथा का आयोजन प्रतिनिधि, पाकुड़. हरिणडंगा हाइस्कूल मैदान में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा के सातवें दिन राम-सीता की विदाई का वर्णन किया गया. अयोध्या से आए पारसमणी जी महाराज ने वर्णन किया. प्रसंग सुन दर्शकों की आंखे नम हो गई. कहा कि शादी के बाद बेटी को विदा करना संदियों से परंपरा चली आ रही है. बेटी को विदाई के समय पत्थर दिल पिता की भी आखें नम हो जाती है, जब सीता मात की विदाई हो रही थी तो लोगों की आखें नम थी. राम-सीता की विदाई का वर्णन रामायण में मिलता है. यह विदाई राजा जनक के महल से होती है, जब सीता माता को अयोध्या ले जाया जाता है. इस विदाई में माता सीता के प्रति राजा जनक और रानी सुनैना के गहरे प्रेम और विरह का वर्णन है. साथ ही अयोध्या में राम और सीता के स्वागत का भी वर्णन है. सीता माता की विदाई जनकपुर से होती है, जहां उनके माता-पिता, राजा जनक और रानी सुनैना, उनसे बिछड़ने के दुख से व्याकुल हैं. राजा जनक और रानी सुनैना अपनी पुत्री सीता को विदा करने के दुख को व्यक्त करते हैं. वे सीता के बिना अपने जीवन की कल्पना नहीं कर पाते हैं. सीता माता, राम जी के साथ, जनकपुर से अयोध्या के लिए प्रस्थान करतीं हैं, जहां उनका जोरदार स्वागत होता है. विवाह के बाद, सीता को अयोध्या में रानी के रूप में स्वीकार किया जाता है और राम और सीता का वैवाहिक जीवन शुरू होता है.
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