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आदि कर्मयोगी अभियान में नवाचार और समावेशन की मिसाल बना पाकुड़, राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित हुए उपायुक्त

आदि कर्मयोगी अभियान ने जनजातीय समाज की ताकत और संवेदनाओं को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का अवसर दिया. यह सम्मान पूरे पाकुड़ परिवार को समर्पित है.

पाकुड़ नगर. जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में पाकुड़ जिला को आदि कर्मयोगी अभियान अंतर्गत आउटस्टैंडिंग परफॉर्मेंस एवं इनोवेटिव इनिशिएटिव्स इन एडवांसिंग इन्क्लूसिव ट्राइबल डेवलपमेंट के लिए देश के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन वाले जिले के रूप में सम्मानित किया गया. यह सम्मान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पाकुड़ उपायुक्त मनीष कुमार को प्रदान किया. यह उपलब्धि पूरे झारखंड के लिए गौरव का विषय है. उपायुक्त ने कहा कि यह सम्मान पाकुड़ के प्रत्येक कर्मयोगी, अधिकारी, जनप्रतिनिधि और नागरिक की प्रतिबद्धता का परिणाम है. आदि कर्मयोगी अभियान ने जनजातीय समाज की ताकत और संवेदनाओं को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का अवसर दिया. यह सम्मान पूरे पाकुड़ परिवार को समर्पित है. उन्होंने बताया कि आदि कर्मयोगी अभियान का उद्देश्य जनजातीय समाज में सशक्तिकरण, जनभागीदारी और सतत विकास को बढ़ावा देना है. कहा कि इसे जन से जन तक और घर से घर तक पहुंचाने का प्रयास किया गया है. अभियान को जनजागरूकता, प्रेरणा और सामाजिक नवाचार के माध्यम से एक उत्सव का रूप दिया गया.

अभियान ने समाज की सहभागिता को किया मजबूत :

जिले में आदि रक्तदान दिवस, आदि भोज सह जन्मोत्सव और नन्हे आदि कर्मयोगी जैसे आयोजनों ने ग्रामीण समाज में सहभागिता की भावना को मजबूत किया. वहीं डिस्ट्रिक्ट और ब्लॉक प्रोसेस लैब की स्थापना कर प्रशिक्षण की व्यवस्था की गयी. हर आदि ग्राम में सेवा केंद्र स्थापित किए गए, ग्राम सभाओं का आयोजन हुआ और विलेज एक्शन प्लान तैयार किए गए, जिससे विकास योजनाएं गांव की जरूरतों के अनुरूप बन सकीं.

पारदर्शिता से पूरे किए गए सभी कार्य :

बताया कि अभियान के दौरान सभी कार्य समयबद्ध और पारदर्शी ढंग से पूरे किए गए. पोर्टल पर शत-प्रतिशत प्रविष्टियां तय समय में पूरी कर पाकुड़ ने राज्य ही नहीं, बल्कि देशभर में उदाहरण पेश किया. आदि कर्मयोगी किट और टी-शर्ट जैसे प्रयासों ने अभियान में एकता और गर्व की भावना जगायी.

देशभर के जिलों के लिए प्रेरक मॉडल बना पाकुड़ :

आदि कर्मयोगी अभियान में पाकुड़ का प्रदर्शन अब देशभर के जिलों के लिए एक प्रेरक मॉडल बन गया है. जनजागरूकता, स्थानीय नेतृत्व सशक्तिकरण और प्रशिक्षण का यह संगठित प्रयास साबित करता है कि जब संवेदनशील प्रशासन और समुदाय साथ आते हैं तो कोई भी योजना केवल कागजों पर नहीं रहती, बल्कि जनआंदोलन बन जाती है.

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