30 वर्षों से सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर रह रहे थे ये परिवार
बार-बार नोटिस के बावजूद नहीं हुआ खाली तो प्रशासन ने अपनायी सख्ती
जनसंवाद में मामला आने के बाद प्रशासन हुआ रेस
पाकुड़ : पाकुड़ पोखर पटाल इलाके में सोमवार को प्रशासन ने सख्ती बरतते हुए अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया है. इस अभियान में दर्जनों घरों को बुलडोजर से तोड़ दिया गया है. इससे करीब 211 परिवार सड़क पर आ गये हैं. बता दें कि मुख्यमंत्री के जनसंवाद में इस इलाके में अतिक्रमण का मामला उठा था.
इसके बाद ही प्रशासन रेस हुआ. इस इलाके में लोग वर्षों से अपना आशियाना बना कर गुजर-बसर कर रहे थे. इनमें से लगभग लोग दिहाड़ी मजदूरी करने वाले हैं. ग्रामीणों के मुताबिक पिछले 30 वर्षों से भी अधिक अर्थात अविभाजित बिहार के समय से ही यहां रह रहे थे.
रात गुजारने पर आफत
प्रशासन द्वारा घरों को उजाड़ने के बाद महिलाओं व बच्चों का रो-रो कर हाल बुरा है. वर्षों से घर में रह रहे परिवार के सदस्यों के आंख के सामने प्रशासन द्वारा कुछ ही घंटे में घरों को उजाड़ दिये जाने से हुए बेघर लोगों का कहना है कि जिला प्रशासन को पहले सभी लोगों का रहने की व्यवस्था करानी चाहिए.
गिड़गिड़ाते रहे लाेग, एक ना सुनी गयी
तालाब पर अतिक्रमण कर रह रहे उपरोक्त परिवार के लोगों द्वारा प्रशासन को रहने की स्थायी व्यवस्था कराये जाने की मांग भी की गई, परंतु प्रशासन द्वारा एक भी नहीं सुनी गई. गौरतलब हो कि सीएम शिकायत कोषांग 181 के माध्यम से मुख्यमंत्री को यह शिकायत की गई थी कि रानी दिग्घी पटाल पर सैकड़ों परिवार अतिक्रमण कर रह रहा है. अतिक्रमण हटाने के दौरान पुलिस को काफी कठिनाई भी हुई.
घर तो दिया नहीं ला दिया सड़क पर
बिहार राज्य के समय से ही रह रहे सैकड़ों परिवार को लगभग 30 साल के बाद प्रशासन ने जिस तरह से उजाड़ दिया है. इस पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. आशियाना उजड़ने से दुखी परिजनों का कहना है कि किसी तरह मेहनत मजदूरी कर लोग अपना गुजारा करते हैं. सभी गरीब व मध्यम परिवार से आते हैं. प्रशासन द्वारा यदि अतिक्रमण पर रोक ही लगानी थी आखिर शुरू में ही क्यों नहीं रोक लगा दी गई. लंबे समय के बाद अचानक लोगों को उखाड़ फेंक दिया गया.
ऐसे परिवार के प्राय: सदस्यों के पास न तो जमीन है न ही कहीं और ठहरने का ठिकाना. सभी मजदूर वर्ग के लोग हैं और मजदूरी कर अपना परिवार चलाना इनकी मजबूरी भी है.