लोहरदगा. लोहरदगा जिला अंतर्गत नगरपालिका मौजा के सात कोड़ा पड़हा, बरवाटोली कोटवार, जयनाथपुर, थाना टोली, गढ़ा टोली, मधुवन टोली और सरना टोली में सोमवार को आदिवासी समाज का प्रमुख पर्व सरहुल पारंपरिक श्रद्धा और सांस्कृतिक उत्साह के साथ मनाया गया. सरहुल पर्व की अगुवाई स्थानीय पहानों, महतो और पुजार ने की. आदिवासी परंपरा अनुसार पारंपरिक वेषभूषा, वाद्ययंत्र और गाजा के साथ जुलूस निकालते हुए एमजी रोड स्थित झखरा कुंबा सरना स्थल पहुंचकर प्राकृतिक देवी-देवताओं की खद्दी पूजा-पाठ की गयी. इस अवसर पर आठ पहानों भूषण पहान (मधुवन टोली), रूपेश उरांव (जयनाथपुर), नंदु उरांव (थाना टोली), मनमत भगत (गढ़ा टोली), जगन्नाथ नायक (बरवाटोली कोटवार), अगनु मुंडा (कोड़ा पड़हा), अनिल उरांव (जयनाथपुर) ने सामूहिक रूप से धरती मां, आकाश, सूरज, चांद, सितारे, जीव-जंतु, पेड़-पौधों एवं मानव समाज की सुख-समृद्धि, शांति एवं सुरक्षा के लिए पूजा अर्चना की.रवि नारायण महली, मनीष मुंडा, संतोष उरांव, ज्ञान मुंडा, विजय मुंडा एवं संतोष मुंडा का आयोजन को सफल बनाने में विशेष योगदान रहा. मौके पर वक्ताओं ने बताया कि सरहुल आदिवासियों, विशेषकर उरांव समुदाय का सबसे बड़ा पर्व है, जो कृषि कार्य के आरंभ को दर्शाता है. सरहुल में साल वृक्ष की पूजा की जाती है, जो आदिवासी समाज के जीवन से गहराई से जुड़ा है. यह पेड़ आश्रय, ईंधन और पर्यावरण संतुलन का प्रमुख स्रोत माना जाता है. मनीष मुंडा ने कहा कि सरना स्थल आदिवासी समाज के लिए पवित्र स्थान है, जहां प्रकृति की आराधना कर जीवन के सभी प्राणियों की भलाई की कामना की जाती है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है