किस्को़ किस्को प्रखंड क्षेत्र में धान की कटाई ने पूरी तरह से रफ्तार पकड़ ली है. लेकिन सरकारी खरीद केंद्र यानी लैंपस अभी भी शांत हैं. लैंपस में धान खरीद शुरू नहीं होने के कारण इलाके के किसान बेबस हैं. मजबूरी में अन्नदाताओं को अपनी फसल औने-पौने दामों पर स्थानीय व्यापारियों के हाथों बेचनी पड़ रही है. किसानों का स्पष्ट कहना है कि धान बेचने के लिए उन्हें पैसों की तत्काल जरूरत होती है और साथ ही घर तक धान ले जाने की समस्या भी है. ऐसे में, अधिकांश किसान खेतों पर ही थ्रेसर से मिसाई कर तुरंत बिक्री कर देते हैं. लैंपस की लेटलतीफी के कारण बाजार ही एकमात्र विकल्प बन जाता है. वर्तमान में बाजार में धान 18 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है, जबकि पिछले वर्ष लैंपस में यही धान 24 रुपये प्रति किलो की दर पर खरीदा गया था. इस तरह, किसानों को सीधा नुकसान हो रहा है. किसानों ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उचित मूल्य मिलने के बावजूद, लैंपस में भुगतान समय पर नहीं होता. पैसा लेने के लिए किसानों को लगातार दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं. इस परेशानी से बचने के लिए वे नुकसान उठाकर भी व्यापारियों को धान बेच देते हैं. स्थिति यह है कि जब तक सरकारी खरीद शुरू होती है, तब तक ज्यादातर किसान अपनी फसल बेच चुके होते हैं. इस देरी का फायदा बिचौलिये उठा रहे हैं. वे किसानों के नाम पर धान को लैंपस में बेचते हैं और मोटा मुनाफा कमाते हैं, जबकि किसानों को मिलने वाला वास्तविक लाभ व्यापारियों की जेब में चला जाता है. किसानों ने मांग की है कि यदि समय पर खरीद और भुगतान सुनिश्चित किया जाये, तभी उन्हें मेहनत का सही फल मिल पायेगा.
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