लोहरदगा़ जिले का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल, सदर अस्पताल लोहरदगा, खुद बीमार हाल में नजर आ रहा है. इलाज के लिए आने वाले मरीजों को बेहतर सुविधा तो दूर, मूलभूत व्यवस्थाएं भी नहीं मिल पा रही हैं. अस्पताल की इमारत जगह-जगह से जर्जर हो चुकी है और सफाई व्यवस्था बदहाल है. गुरुवार को सांसद सुखदेव भगत ने सदर अस्पताल का औचक निरीक्षण किया. वहां की स्थिति देखकर सांसद काफी नाराज और दुखी हुए. उन्होंने सिविल सर्जन डॉ राजू कच्छप से बात कर कहा कि यहां वही लोग आते हैं जो बीमार हैं, और यदि उनके साथ सहानुभूति के बजाय परेशानी बढ़ायी जायेगी तो यह बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. सांसद ने जतायी नाराजगी, सिविल सर्जन बोले, चिकित्सकों की भारी कमी है : सांसद सुखदेव भगत से सिविल सर्जन डॉ राजू कच्छप ने कहा कि यहां चिकित्सकों की घोर कमी है. सदर अस्पताल में चिकित्सकों के कुल 32 पद स्वीकृत हैं, लेकिन मात्र 16 पदस्थापित हैं. पूरे जिले में 92 पद स्वीकृत हैं, जबकि केवल 40 चिकित्सक कार्यरत हैं. स्वास्थ्यकर्मियों की भी भारी कमी है. उन्होंने माना कि अस्पताल के इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार की सख्त जरूरत है. अस्पताल परिसर में गंदगी और दुर्गंध : वहां मौजूद लोगों ने बताया कि अस्पताल में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी बनी हुई है. कई वार्डों में मरीजों की भीड़ है, लेकिन चिकित्सक समय पर नहीं मिलते. इलाज के अभाव में कई मरीजों को निजी क्लिनिक या रांची रेफर होना पड़ता है. सफाईकर्मियों की संख्या कम होने से अस्पताल परिसर में गंदगी और दुर्गंध फैला रहता है. दवा वितरण केंद्र पर भी अव्यवस्था का आलम है, जहां मरीजों को घंटों लाइन में लगना पड़ता है. मरीजों को अक्सर अस्पताल के बगल की दुकानों से दवा लाने को कहा जाता है. लोगों का कहना है कि जिला मुख्यालय में स्थित सदर अस्पताल की यह स्थिति बेहद शर्मनाक है. स्वास्थ्य विभाग को तत्काल हस्तक्षेप कर सुधारात्मक कदम उठाने की जरूरत है ताकि आम जनता को राहत मिल सके. न एक्सरे, न अल्ट्रासाउंड, मरीजों को बाहर कराना पड़ता है जांच : सदर अस्पताल में एक्सरे और अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं है. निरीक्षण के दौरान एक मरीज रफीक अंसारी को परिजन स्ट्रेचर पर अस्पताल से बाहर ले जा रहे थे. सांसद ने पूछा तो बताया गया कि एक्सरे कराने जा रहे हैं. इस पर सांसद ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि यदि यहां साधारण एक्सरे भी नहीं हो सकता, तो जनता व्यवस्था पर कैसे भरोसा करेगी. चिकित्सकों ने बताया कि मशीन खराब है. सांसद ने 24 घंटे के अंदर मशीन दुरुस्त करने का निर्देश दिया. सिविल सर्जन ने यह भी बताया कि अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन है, लेकिन रेडियोलॉजिस्ट नहीं हैं. इसके कारण मरीजों को बाहर जांच करानी पड़ती है. इस संबंध में पत्राचार किया गया है. निजी अस्पतालों में भेजे जा रहे मरीज, दलाल सक्रिय : निरीक्षण के दौरान लोगों ने सांसद को बताया कि एक चिकित्सक, जो सरकारी अस्पताल में पदस्थापित हैं, उनका निजी अस्पताल पतरा टोली में है. वही मरीजों को वहां भेजते हैं. कई दलाल भी सक्रिय हैं जो सरकारी अस्पताल से मरीजों को निजी क्लिनिक ले जाते हैं. एक मरीज भेजने पर निजी अस्पताल की ओर से दलाल को पांच हजार रुपये तक दिये जाते हैं. सांसद ने इस पर सख्त नाराजगी जताते हुए सिविल सर्जन को निर्देश दिया कि इस पर तुरंत रोक लगायी जाये और संबंधित डॉक्टर को चेतावनी दी जाये. सुधार का निर्देश, मुख्यमंत्री के पास उठाएंगे मुद्दा : सांसद सुखदेव भगत ने अस्पताल में भर्ती मरीजों से बात की और सिविल सर्जन को तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि वे स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री से मिलकर सदर अस्पताल में सुविधाएं उपलब्ध कराने का अनुरोध करेंगे. लोग बोले, मंत्री आयें, वादा किये लेकिन कुछ नहीं बदला : अस्पताल में मौजूद मरीजों के परिजनों ने बताया कि कुछ दिन पहले स्वास्थ्य मंत्री यहां आये थे और बड़े-बड़े दावे किये थे, लेकिन कोई बदलाव नहीं हुआ. डीसी ने भी अखबारों में कहा था कि अस्पताल में अल्ट्रासाउंड सुविधा और जांचघर रविवार को भी खुले रहेंगे, पर ऐसा नहीं हुआ. लोगों ने कहा कि अब जनता का विश्वास प्रशासन के दावों से उठ गया है.
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