हर वर्ष 30-35 लाख रुपये में होती है पड़ाव की नीलामी
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सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है बस पड़ाव में
हर वर्ष 30-35 लाख रुपये में होती है पड़ाव की नीलामी लोहरदगा : नगर परिषद क्षेत्र में एक सुव्यवस्थित बस पड़ाव नहीं है. पूरे शहर में एक भी टेंपो स्टैंड नहीं है. लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. नगर परिषद बस पड़ाव की नीलामी प्रतिवर्ष करती है. मोटी राशि राजस्व के रूप […]
लोहरदगा : नगर परिषद क्षेत्र में एक सुव्यवस्थित बस पड़ाव नहीं है. पूरे शहर में एक भी टेंपो स्टैंड नहीं है. लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. नगर परिषद बस पड़ाव की नीलामी प्रतिवर्ष करती है. मोटी राशि राजस्व के रूप में प्राप्त होती है. सिर्फ बस पड़ाव से नगर परिषद को सालाना 30 से 35 लाख रुपये मिलती है लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है. रेलवे की जमीन पर बस पड़ाव का रूप दे दिया गया है. बाहर से आने वाले यात्रियों के लिए न तो कोई व्यवस्था है और न कोई सुविधा है. अधिकतर वाहन सड़क पर खड़े होते हैं. अक्सर सड़क जाम रहती है. हर पल दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. इसी तरह शहर में भी एक हजार से भी ज्यादा टेंपो चलते हैं लेकिन इनके लिए भी कोई व्यवस्थित स्टैंड नहीं है.
जिले में बस ऑनर एसोसिएशन टेंपो ऑनर एसोसिएशन हैं, लेकिन दोनों एसोसिएशन अब तक शहर में एक व्यवस्थित बस पड़ाव के लिए कभी ईमानदारी से प्रयास नहीं किये. लोगों का कहना है कि नगर परिषद सुविधा के नाम पर कुछ देती नहीं है सिर्फ वसूली की जाती है. जिले में एक सुव्यवस्थित बस पड़ाव की मांग काफी पहले से की जा रही है, लेकिन नगर परिषद के अधिकारी इस ओर कभी भी ध्यान नहीं दिये. उन्हें सिर्फ अपने व्यक्तिगत लाभ वाले कार्यों में ही ज्यादा रुचि रही है.
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