लोहरदगा : एक ओर जहां लोग तपती गर्मी से परेशान हैं. वहीं दूसरी ओर बॉक्साइट खनन इलाके के कुछ क्षेत्र इससे अछूते हैं. हिंडालको कंपनी द्वारा संचालित गुरदरी, कुजाम, अमतीपानी, सेरेंगदाग, बगड़ू और पाखर क्षेत्रों में खनन के उपरांत ग्राम वासियों के आग्रह पर जल संचयन को ध्यान में रखते हुए तालाब का निर्माण कराया गया है. संचयित जल से क्षेत्र में रबी की फसलें तथा सब्जियों की खेती के लिए सिंचाई का समुचित उपयोग किया जा रहा है.
इस कार्य से ग्रामीणों को जो लाभ पहुंच रहा है उसका उदाहरण सेरेंगदाग का हरहापाट, पाखर का बंगलापाट एवं अमतीपानी गांव है. सेरेंगदाग के हरहापाट गांव में लगभग 12 किसानों ने सामूहिक रूप से गेंहूं की फसल उगा कर नया उदाहरण पेश किया है. लगभग छह एकड़ में लगायी गयी लहलहाती फसल से सभी किसान बेहद खुश हैं. किसान बिहारी उरांव, तिवारी उरांव, तेतरी देवी, मंगरी देवी, अनिता देवी आदि ने हिंडालको के इस कार्य को बेहतर बताया और कहा कि अब हमलोग सालोंभर खेती कर सकते हैं. पूर्व में जहां सिंचाई की परेशानियों के कारण रबी और मौसमी सब्जियों की खेती नहीं हो पाती थी, लेकिन अब सिंचाई सुविधा हो जाने से उन्हें सहुलियत हुई है. इसी तरह अमतीपानी गांव में खनन के उपरांत निर्मित तालाब में मत्स्य विभाग द्वारा केज सिस्टम के माध्यम से मत्स्य पालन किया जा रहा है. जो मत्स्य मालन को बढ़ावा दिये जाने के संबंध में आदर्श उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है. इससे मत्स्य उत्पादन में संलग्न कृषकों को अच्छी आमदनी हो रही है. हिंडालको द्वारा निर्मित तालाब से किसानों को जहां खेती करने का सुअवसर प्राप्त हुआ है. वहीं मत्स्य पालन के क्षेत्र में भी मत्स्य किसानों को प्रशिक्षण के उपरांत मत्स्य अंगुलिकाएं प्रदान कर आय वृद्धि का एक बेहतर विकल्प तलाशा है. वहीं वर्षा जल के संचयन से आसपास के क्षेत्रों का जलस्तर काफी बढ़ा है. जिसके कारण गर्मियों में भी ग्रामिणों को पानी प्रचुर मात्रा में प्राप्त हो रही है. गांव के पशुधन को पीने के लिए पानी की सुविधा तथा लोगों के राजमार्रा की आवश्यकताएं भी पूरी हो रही है. क्षेत्र के लोगों का कहना है कि कंपनी के इस प्रयास से निश्चित रूप से इस बंजर इलाके में हरियाली आयी है लेकिन कंपनी यदि सड़क और शुद्ध पेयजल की व्यवस्था भी करा देती तो और बेहतर होता.