Valentine Day 2021, Jharkhand News : लातेहार (आशीष टैगोर) : ना उम्र की सीमा हो, ना जन्म का हो बंधन, जब प्यार करे कोई, तो देखे केवल मन. इन पंक्तियों से बेहतर प्रेम की अभिव्यक्ति और क्या हो सकती है. कहते हैं न कि प्रेम न तो उम्र देखता है और ना ही यह देखता है कि आप किस जाति या धर्म से हैं. प्रेम के लिए तो सिर्फ मन से मन मिलने की दरकार है. यही कारण है कि जब झारखंड के लातेहार जिले के प्रसिद्ध नेतरहाट के एक गड़ेरिया और अंग्रेज अफसर की बेटी मैग्नोलिया का दिल मिला तो अमर प्रेम कहानी बन गयी.
हरी भरी खूबसूरत वादियां, ऊंचे-नीचे पर्वत और कल-कल बहती नदियों के बीच बसे नेतरहाट को अंग्रेजों ने नेचर हट का नाम दिया था. जो बाद में नेतरहाट में तब्दील हो गया. कहते हैं कि जब अंग्रेज पहली बार यहां आये तो गर्मी का मौसम था. बाजवूद इसके नेतरहाट में उन्हें ठंड का आभास हुआ. इसके बाद अंग्रेजों ने यहां अपना कैंप कार्यालय खोला. इसी कैंप कार्यालय में एक अंग्रेज अफसर रहता था. उसकी एक बेटी थी मैग्नोलिया. मैग्नोलिया बेहद खूबसूरत थी और उसे घुड़सवारी का बहुत शौक था. वह नेतरहाट के उस चट्टान पर अक्सर पर जाया करती थी जहां से सूर्यास्त का नजारा बेहद ही खूबसूरत दिखता था. इसी चट्टान पर बैठकर एक स्थानीय गड़ेरिया प्रति दिन बांसुरी बजाता था.

जब उस गड़ेरिये की बांसुरी की धुन नेतरहाट की खूबसूरत वादियों में गूंजती थी तो मैग्नोलिया बरबस ही उसके पास खींची चली आती थी. यह सिलसिला महीनों जारी रहा. अब तक दोनों में गहरी दोस्ती हो गयी थी, लेकिन उनकी यह दोस्ती कब प्यार में बदल गयी, दोनों को पता ही नहीं चला. गड़ेरिया यहां रोज मगन होकर बांसुरी बजाता था और मैग्नोलिया उसके कंधे पर सिर रखकर बांसुरी की धुन सुनती रहती थी, लेकिन उनके इस प्यार को मानो जमाने की नजर लग गयी. धीरे-धीरे यह बात मैग्नोलिया के अंग्रेज पिता तक पहुंची. फिर क्या था, अंग्रेज अफसर आग बबूला हो गया और अपनी बेटी व उस गड़ेरिये को एक-दूसरे से दूर रहने का फरमान सुना डाला, लेकिन कहते हैं न कि प्यार को किसी सीमा या बंधन में नहीं रखा जा सकता है.
पिता के आदेश के बावजूद मैग्नोलिया रोज गड़ेरिये के पास जाती रही. अंत में अंग्रेज अफसर ने गड़ेरिये को जान से मारने का आदेश दे दिया. किवदंती है कि इसके बाद अंग्रेज सैनिकों ने उसे पकड़ कर जान से मार दिया. जब यह बात मैग्नोलिया को पता चली तो वह सुधबुध खो बैठी. अपने घोड़े के साथ उसी चट्टान पर पहुंची जहां वह घंटों उस गड़ेरिये के कंधे पर सिर रखकर बांसुरी सुना करती थी, लेकिन आज वह चट्टान वीरान था और ना ही गड़ेरिये की बांसुरी की तान फिजाओं में गूंज रही थी. अपने प्यार को खोने के गम में मैग्नोलिया ने अपने घोड़े के साथ उस चट्टान से सैकड़ों फीट नीचे खाई में छलांग लगा कर अपने अधूरे प्यार की कहानी को अमर कर दिया.
आज भी वह चट्टान नेतरहाट में है. इस जगह को मैग्नोलिया प्वाइंट का नाम दिया गया है. यहां उस गड़ेरिये और मैग्नोलिया की एक प्रतिमा लगायी गयी है. यहां पर्यटन सुविधाएं बहाल करने का प्रयास जारी है. प्रति वर्ष हजारों लोग मैग्नोलिया प्वाइंट पर आते हैं और न सिर्फ यहां डूबते सूरज का नजारा देखते हैं, बल्कि उस गड़ेरिये और मैग्नोलिया के अधूरे प्रेम की कहानी से भी अवगत होते हैं.
Posted By : Guru Swarup Mishra