बेतला़ पीटीआर में विषैले सर्पों पर अंतरराष्ट्रीय गिरोह की नजर है. इस इलाके के सांपों के विष को चीन, जापान सहित अन्य देशों में भेजा जाता है. इसका खुलासा भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत कार्यरत वैधानिक संस्था वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो (डब्ल्यूसीसीबी) ने किया है. पिछले महीने असम में वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो के सदस्यों ने गुप्त सूचना पर छापामारी कर भारी मात्रा में वज्रकीट सहित अन्य वन्य जीवों को बरामद किया था. इसके बाद छानबीन के क्रम में झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व से वन्यजीव के अवैध व्यापार की जानकारी मिली थी. इसके बाद डब्ल्यूसीसीबी की टीम झारखंड दौरे पर है. मिली गुप्त सूचना के आधार पर सांपों का जहर निकालकर उसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचने वाले गिरोहों का खुलासा होने के बाद रोजाना अपराधियों की धर-पकड़ की प्रक्रिया जारी है. पीटीआर में सांपों की है सर्वाधिक संख्या : पलामू टाइगर रिजर्व में सांपों की संख्या सर्वाधिक है. इनमें इंडियन कोबरा (नाग), किंग कोबरा (नागराज), बेंडेट करैत (धारीदार करैत), कोमन करैत (करैत) और रहल वाइपर (दबोइया) के नाम शामिल हैं. वहीं, रेड सैंड बोआ (दुमुंहा), पाइथन(अजगर), रैट स्नेक (धामन) आदि प्रमुख हैं. पलामू टाइगर रिजर्व के वनों में सबसे बड़ा सरीसृप है़ अजगर भी काफी संख्या में हैं. इनकी लंबाई 10 मीटर से भी अधिक हो सकती है. हालांकि, यह एक विषहीन सर्प है जो अपने शिकारों को कुंडलियों में भींचकर उनका दम घोंटकर मारता है. इसके खाल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी अधिक है. बताया जाता है कि सर्प विष का उपयोग यौन शक्ति बढ़ाने सहित अन्य कार्यों में किया जाता है. अपराधियों की धर-पकड़ के लिए कार्रवाई जारी : इस संबंध में पीटीआर के डिप्टी डायरेक्टर प्रजेश कांत जेना ने कहा कि अपराधियों की धर-पकड़ के लिए कार्रवाई जारी है. जल्द ही अपराधियों के गिरोह का सरगना गिरफ्त में होगा और इस वन्यजीव अपराध पर अंकुश पा लिया जायेगा.
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