लातेहार ़ जिला मुख्यालय में वनाधिकार कानून के तहत पट्टा नहीं तो वापस नहीं कार्यक्रम के तहत सोमवार से अनिश्चितकालीन धरना शुरू हुई थी. जिसमें जिले भर के सुदूर गांव इलाकों से आये आदिवासी व मूलवासी शामिल थे. अनिश्चितकालीन धरना में आये ग्रामीण अपने साथ खाना बनाने की सामग्री और पारंपरिक हथियार लेकर शामिल हुए थे. जिला प्रशासन से छह दौर की वार्ता के बाद कड़ी शर्तों के साथ रात 12 बजे अनिश्चितकालीन घेरा डालो, डेरा डालो कार्यक्रम समाप्त करने की घोषणा की गयी. इसमें लातेहार अनुमंडल के सभी अंचलों से व्यक्तिगत एवं सामुदायिक दावा अभिलेख अनुमंडल कार्यालय में कैंप मोड में निष्पादित किये जायेंगे. जिसकी शुरूआत लातेहार अंचल से कर दी गयी है. वहीं, सात से 14 अक्तूबर तक अंचलवार तिथि निर्धारित की गयी है. इसमें संबंधित वनाधिकार समिति के अध्यक्ष एवं सचिव ऑन द स्पॉट अभिलेखों में जो भी त्रुटियां होंगी उनका निराकरण करते हुए रेकर्ड को ठीक करेंगे और अनुमंडल कार्यालय में दस्तावेजी करण करेंगे. महुआडाड़ अनुमंडल में भी इसी तर्ज पर कैंप आयोजित करने को लेकर आइटीडी निदेशक तत्काल पत्र निर्गत करेंगे. लातेहार अनुमंडल पदाधिकारी सह अनुमंडल वन अधिकार समिति के अध्यक्ष अंचलवार रिकॉर्ड ठीक करते ही सभी दृष्टिकोण से सही अभिलेखों की अनुशंसा को लेकर अनुमंडल स्तरीय वन अधिकार समिति की बैठक करेंगे और उन दावों को जिला स्तरीय समिति को अग्रेत्तर कार्रवाई के लिए अग्रसारित करेंगे. ज्ञात हो कि लातेहार के दोनों अनुमंडल में 173 सामुदायिक दावा एवं 1803 व्यक्तिगत दावा 2010 से अब तक लंबित पड़े हैं. इस आंदोलन का नेतृत्व धोती फादर, सेलेस्टीन कुजूर, गेंदिया देवी, रीता देवी, सुखमनी देवी, भूखन सिंह, हरि भगत, नंदकिशोर गंझू, जिला परिषद सदस्य स्टेला नगेसिया, कन्हाई सिंह, रघुपाल सिंह, विनोद उरांव, अजय उरांव, प्रवेश राणा, रामेश्वर गंझू, भाकपा (माले) के जिला सचिव बिरजू राम, कांग्रेस पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुनेश्वर उरांव कर रहे थे.
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