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भाई की लंबी उम्र की कामना के लिए बहनें करती हैं करम पर्व

करमा पर्व में बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र की कामना करती हैं.

जयनगर. करमा पर्व में बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र की कामना करती हैं. जानकारी देते हुए पिंटू कुमार पांडेय ने कहा कि करमा पर्व का इतिहास झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों की आदिवासी और किसान संस्कृतियों से जुड़ा फसल उत्सव है. इसकी जड़ें प्राचीन कहानियों और प्रकृति के प्रति सम्मान में हैं. इसका नाम ””करम””नामक पेड़ से लिया गया है. कथा के अनुसार, करमा और धरमा नामक दो भाई थे, जिनकी रक्षा के लिए उनकी बहन ने करम वृक्ष की पूजा की थी. इसके बाद से ही करमा पर्व मनाने की परंपरा शुरू हुई. आदिवासी किंवदंतियों के अनुसार एक बार अकाल पड़ने पर उनकी बहन ने करम वृक्ष की डाली की पूजा की और व्रत रखा. इससे भाइयों का कष्ट दूर हुआ. उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ की जनजातियों के अनुसार एक राजा करमसेन थे जिन्होंने संकट आने पर इष्टदेव की पूजा कर रात भर नृत्य किया था, जिससे उनकी विपत्ति दूर हुई. इसी से करमा पर्व और करमा नृत्य प्रचलित हुआ. महत्व और उत्सव की शुरुआत: करमा पर्व प्रकृति की पूजा और अच्छी फसल के लिए मनाया जाता है. करम वृक्ष को ऑक्सीजन देनेवाला माना जाता है. यह शक्ति, यौवन और जीवन शक्ति का प्रतीक है. यह पर्व भाई-बहन के प्रेम और समाज में खुशहाली लाने का भी प्रतीक है. बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र के लिए उपवास रखती हैं. कई शुभ कार्यों का आरंभ इसी त्योहार के बाद से किया जाता है. इस पर्व में करम वृक्ष की शाखा को घरों के आंगन में रोपा जाता है और उसकी पूजा की जाती है. पूजा के बाद, अंकुरित अनाज और गुड़ का भोग लगाया जाता है, जिसे प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है.

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