कोडरमा़ जिंदगी कभी थमती नहीं, बस उसके मायने बदल जाते हैं. इसका बेहतरीन उदाहरण है कोडरमा के तीन ऐसे कर्मयोगी, जिन्होंने सेवानिवृत्ति के बाद भी खुद को समाज सेवा से जोड़े रखा है. ये वे लोग हैं, जो अपने अनुभव, समर्पण और सेवा भाव से समाज के लिए प्रेरणा बन गये हैं. कभी कार्यालय की जिम्मेदारियां निभाने वाले ये लोग अब समाज की भलाई के लिए अपने जीवन की दूसरी पारी खेल रहे हैं. प्रभात खबर द्वारा शुरू किये गये अभियान सेकेंड इनिंग में आइये जानते हैं इन प्रेरणास्रोत व्यक्तित्वों के बारे में, जिन्होंने रिटायरमेंट के बाद घर परिवार की जिम्मेवारी संभालने के साथ पूरे समाज को भी अपना मान आगे बढ़ने का संकल्प लिया है़
कर्मचारियों की आवाज बुलंद कर रहे हैं विश्वनाथ सिंह
जेजे कॉलेज झुमरीतिलैया से करीब 10 साल पहले प्रधान लिपिक पद से सेवानिवृत्त हुए विश्वनाथ सिंह आज भी कर्मचारियों के हक की आवाज बुलंद कर रहे हैं. वे झारखंड राज्य विश्वविद्यालय महाविद्यालय कर्मचारी महासंघ के संरक्षक हैं और राज्यभर के गैर-शिक्षण कर्मचारियों की समस्याओं को सरकार तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं. एसीपी, एमसीपी, तथा 62 वर्ष तक कार्य करने की मांग को लेकर वे लगातार संघर्षरत हैं. इनका मानना है कि सेवानिवृत्ति जीवन का अंत नहीं, बल्कि नये संघर्ष और समाज सेवा की शुरुआत है़
बैंकिंग समस्या समाधान के संकटमोचक हैं संतोष सिन्हा
सेवानिवृत्ति के बाद भी एक फोन पर हर वक्त मदद के लिए तैयार रहने वाले व्यक्तित्व हैं संतोष सिन्हा़ बैंक ऑफ इंडिया में लंबे समय तक सेवा देने के बाद रिटायर हुए संतोष की अलग पहचान है़ बैंकिंग से जुड़ी किसी भी समस्या में लोग सबसे पहले उन्हें ही याद करते हैं. अपने अनुभव और संपर्कों का इस्तेमाल कर वे आम लोगों की बैंकिंग परेशानी को दूर करते हैं, वो भी पूरी तरह निःशुल्क. अगर किसी की समस्या का समाधान बैंक जाकर ही संभव हो, तो वे स्वयं बैंक जाकर भी मदद करते हैं. वे रोटरी क्लब से भी सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं और सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं. संतोष सेवा को ही अपना धर्म मानते हैं.
भक्ति और संगीत से समाजसेवा कर रहे हैं कमलेश कुमार सिंह
सेवानिवृत्ति के बाद भी कमलेश कुमार सिंह सक्रिय रूप से धार्मिक संगठन हनुमान संकीर्तन मंडल से जुड़े हुए हैं. वे इस मंडल के संस्थापक सदस्य हैं और सचिव भी रह चुके हैं. वर्तमान में वे संरक्षक की भूमिका निभा रहे हैं. हर शनिवार को जहां भी भजन संध्या का आयोजन होता है वहां वे हारमोनियम और ढोलक बजाते हुए पूरी ऊर्जा के साथ उपस्थित रहते हैं. संगीत और भक्ति के जरिए समाज में सकारात्मकता और उत्साह फैलाना ही इनका उद्देश्य है.
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