झुमरीतिलैया. श्री दिगंबर जैन मंदिर में दशलक्षण पर्व का छठा दिन उत्तम संयम धर्म एवं धूप दशमी के रूप में मनाया गया. इस दौरान पंडित अभिषेक शास्त्री और डॉ निर्मला दीदी ने प्रवचन में कहा कि मन, वचन, काय को काबू में रखना ही संयम धर्म है. संयम ही मोक्ष मार्ग की सीढ़ी है. संयम को अपने जीवन में उतार कर भविष्य को प्रकाशमय किया जा सकता है. मन चंचल है, वह हमेशा गलत राह में भटकता रहता है. इस पर संयम करने की जरूरत है. हमें अपने जीवन के प्रतिदिन के खानपान बोलचाल रहन सहन में संयम रखना चाहिये तभी जीवन महान बन सकता है. प्रात मूलवेदी 1008 पारसनाथ भगवान का प्रथम अभिषेक और विश्व शांतिधारा मुन्ना-रीता जैन दिलीप आरती बाकलीवाल परिवार को मिला. भगवान का मंगल विहार और प्रथम अभिषेक कमल राजीव जैन छाबड़ा परिवार को मिला. भगवान महावीर प्रभु की शांतिधारा सुरेंद्र-सौरभ सरिता जैन काला दूसरी तरफ से नवीन सम्यक जैन गंगवाल के परिवार के द्वारा किया गया. आदिनाथ भगवान के समक्ष 1008 शांतिनाथ भगवान का प्रथम अभिषेक और शांतिधारा अनूप, सार्थक विशेष इंदु सेठी परिवार ने किया. नया मंदिर में श्रीजी पर प्रथम अभिषेक और शांतिधारा का सौभाग्य शांति लाल-राजेश देवी जैन छाबड़ा के परिवार को प्राप्त हुआ. दोपहर में जैन समाज के सभी भक्त जनों ने धूप दशमी का पर्व मनाया और अपने खराब कर्मों को नाश करने के लिए दोनों मंदिरों में अग्नि में धूप डाला. महिलाओं ने लाल और पीले साड़ी में धूप दशमी की पूजा की और धूप विसर्जन किया. सह मंत्री राज् छाबड़ा, कोषाध्यक्ष सुरेंद्र काला और समाज के पदाधिकारी के मार्गदर्शन में सभी पूजा विधान के कार्य किये जा रहे हैं. संध्या में महाआरती और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. मौके पर मीडिया प्रभारी नवीन जैन, राजकुमार जैन अजमेरा सहित भारी संख्या में समाज के लोग मौजूद थे.
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