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कोडरमा : एटीएम में पैसे डालने में की गड़बड़ी‍, प्राथमिकी दर्ज

बैंक ऑफ इंडिया की कोडरमा व हजारीबाग स्थित एटीएम में पैसे डालते थे विकास कुमार व राजेश कुमार पिलानिया विकास कोडरमा : एटीएम की सुरक्षा प्रणाली को धत्ता बताते हुए दो युवकों ने बैंक ऑफ इंडिया (बीओआइ) से लाखों रुपये का गबन किया है़ पुलिस तिलैया की माहुरी धर्मशाला के पास रहनेवाले युवक विकास कुमार […]

बैंक ऑफ इंडिया की कोडरमा व हजारीबाग स्थित एटीएम में पैसे डालते थे विकास कुमार व राजेश कुमार पिलानिया
विकास
कोडरमा : एटीएम की सुरक्षा प्रणाली को धत्ता बताते हुए दो युवकों ने बैंक ऑफ इंडिया (बीओआइ) से लाखों रुपये का गबन किया है़ पुलिस तिलैया की माहुरी धर्मशाला के पास रहनेवाले युवक विकास कुमार व सीएच स्कूल रोड निवासी राजेश कुमार पिलानिया (पिता शिवकुमार पिलानिया) की तालाश कर रही है.
तिलैया थाने में बुधवार को छह लाख 56 हजार रुपये के गबन की प्राथमिकी दर्ज की गयी है़ इससे पहले एक दिसंबर को भी हजारीबाग के बरही थाने में 11 लाख 89 हजार रुपये के गबन का मामला दर्ज किया गया था़ बताया जाता है कि दोनों ने करीब 16 करोड़ रुपये का गबन किया है़ हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है़
मामले में बैंक अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं. सूचना है कि दोनोंपुलिस से बचने के लिए बैंकॉक भाग गये हैं.
कोडरमा एसपी को आवेदन : मामले को लेकर बैंक आफ इंडिया के विभिन्न एटीएम में पैसा डालने का काम करनेवाली कंपनी सिक्यूरिटी ट्रांस इंडिया प्रालि (एसआइपीएल) की रांची शाखा के प्रबंधक अजीत कुमार पांडेय ने कोडरमा एसपी को आवेदन दिया है. इसमें कहा गया है कि विकास कुमार इस कंपनी में तिलैया ब्रांच का प्रबंधक था, जबकि राजेश कस्टोडियन. दोनों का काम एटीएम में राशि डालने का था. इन्होंने एटीएम में पैसे डालने के बाद तकनीकी जालसाजी कर लाखों की राशि गायब कर दी है.
कोडरमा के जयनगर के टीपीएस बांझेडीह स्थित बीओआइ के एटीएम में पैसा डालने के नाम पर भी इन लोगों ने छह लाख 56 हजार रुपये का गबन किया है. दोनों एक नवंबर से फरार हैं. कंपनी के सीएमएस के निरीक्षण व आॅडिट के लिए जब एटीएम की जांच की गयी, तो इसमें तकनीकी छेड़छाड़ की बात सामने आयी है.
बैंक से डिपोजिट स्टेटमेंट गायब : विकास कंपनी में 2010 से कार्यरत था. उसी ने ही राजेश को नौकरी दिलायी थी. बताया जाता है कि गड़बड़ी की कहानी 2013 से ही शुरू हो गयी थी, लेकिन न तो बैंक अधिकारियों को और न ही पैसे डालनेवाली कंपनी के उच्च अधिकारियों को इसकी भनक लगी.
इसका प्रमुख कारण यह रहा कि एटीएम में पैसे डालने का आॅडिट प्रति वर्ष कम ही होता है. कई जगहों पर एक वर्ष में, तो कई जगहों पर 15 व 18 माह पर आॅडिट किया जाता है. पैसे डालने के बाद कंपनी के कर्मी जमा राशि से संबंधित स्टेटमेंट सील कवर में बैंक में जमा करते हैं, जिसे डिपोजिट स्टेटमेंट कहा जाता है.
अब हैरानी की बात यह है कि ये स्टेटमेंट बैंक की शाखा से गायब हैं. कोडरमा एसपी ने तो शाखा प्रबंधक को बुला कर मामले से संबंधित पूछताछ भी की है. स्टेटमेंट गायब होने की पुष्टि एसपी नवीन कुमार सिन्हा ने भी की है. पूछे जाने पर बीआेआइ के शाखा प्रबंधक गौतम गांगुली ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है. उन्होंने मामले से संबंधित जानकारी भी ज्यादा नहीं होने की बात कही.
कैसे पकड़ में आया मामला
विकास व राजेश को कोडरमा व हजारीबाग में बीओआइ के 13 एटीएम में पैसे डालने की जिम्मेवारी थी. दोनों को अलग अलग पासवर्ड दिया गया था
एटीएम में तकनीकी गड़बड़ी कर दोनों कम पैसे डाल कर ज्यादा दिखा देते थे
जब दोनों से स्टेटमेंट की मांग की गयी, तब विकास, राजेश के एक्सीडेंट होने की बात कह कर गायब हो गया
बैंक ने मामले की सूचना हेडक्वार्टर को दी. सीएमएस की टीम ने सात नवंबर को तिलैया आकर जांच की.

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