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आदिवासी संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक : सुखराम

आदिवासी संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से बुधवार को मुरहू स्थित लीड्स रिसोर्स सेंटर में आदिवासी समागम का आयोजन किया गया.

मुरहू में आदिवासी समागम का आयोजन, बिरसा मुंडा के प्रपौत्र सुखराम मुंडा रहे मुख्य अतिथि

प्रतिनिधि, खूंटी

आदिवासी संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से बुधवार को मुरहू स्थित लीड्स रिसोर्स सेंटर में आदिवासी समागम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का आयोजन लीड्स संस्था के तत्वावधान में किया गया. मुख्य अतिथि के रूप में भगवान बिरसा मुंडा के प्रपौत्र सुखराम मुंडा उपस्थित थे. इस अवसर पर सुखराम मुंडा ने कहा कि आदिवासी संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है, जिसकी जड़ें प्रकृति से गहराई से जुड़ी हुई हैं. उन्होंने चिंता व्यक्त की कि आधुनिकता के प्रभाव में आदिवासी युवा पारंपरिक रीति-रिवाज, खान-पान और पूजा पद्धतियों से दूर होते जा रहे हैं. साथ ही नशा जैसी कुप्रथाओं के बढ़ते प्रभाव पर भी उन्होंने चिंता जतायी. लीड्स के निदेशक एके सिंह ने कहा कि तकनीक और परंपरा के बीच संतुलन बनाये रखते हुए समाज को आगे बढ़ना होगा. ग्राम सभाओं, पंचायतों और स्थानीय संस्थाओं को शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाने की आवश्यकता है.

पूर्व एसबीआई लीड मैनेजर अनिल सिंह ने आदिवासी संस्कृति में निहित ज्ञान-विज्ञान की महत्ता पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि शिक्षा, कौशल और सामर्थ्य को अपनाकर ही आदिवासी समाज अपने अधिकारों के लिए सशक्त बन सकता है. कार्यक्रम के दौरान बच्चों ने पारंपरिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की आकर्षक प्रस्तुतिया दीं. आंगनबाड़ी सेविकाओं ने भी पारंपरिक गीतों की प्रस्तुति देकर वातावरण को जीवंत कर दिया. कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन लीड्स की शांता कुमारी ने किया.

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