तमाड़. लोक आस्था का महापर्व छठ नजदीक है, लेकिन तमाड़ बड़ा तालाब छठ घाट की स्थिति बेहद दयनीय बनी हुई है. घाटों पर चारों ओर कचरे के ढेर, प्लास्टिक की बोतलें, गंदे पानी और झाड़ियों का अंबार लगा हुआ है. सफाई व्यवस्था पूरी तरह ठप नजर आ रही है. ऐसे में श्रद्धालुओं के लिए घाट पर पूजा-अर्चना करना भारी परेशानी का सबब बन सकता है. स्थानीय लोगों ने बताया कि हर साल की तरह इस बार भी संबंधित लोगो की लापरवाही साफ दिख रही है. अब तक घाटों की सफाई, मरम्मत या लाइट की व्यवस्था शुरू नहीं की गयी है. छठव्रती महिलाओं को न तो स्नान योग्य स्वच्छ जल मिल रहा है, न ही पूजा स्थल की साफ-सफाई. लोगों का कहना है कि तमाड़ के छठ घाट, जो हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र हैं. उनकी यह स्थिति अत्यंत शर्मनाक है. छठ महापर्व के दौरान तमाड़ के विभिन्न गांवों से भारी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. घाटों की सफाई नहीं होने के कारण श्रद्धालुओं को काफी परेशानी झेलनी पड़ेगी. छठ महापर्व सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि आस्था, अनुशासन और पवित्रता का प्रतीक है. इस पर्व में श्रद्धालु दिन-रात कठिन व्रत रख कर सूर्य देव की आराधना करते हैं, लेकिन विडंबना यह है कि तमाड़ बड़ा तालाब के छठ घाट पर आज भी बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. हर साल छठव्रतियां घाट तक पहुंचती हैं. स्नान करती हैं. पूजा की तैयारी करती हैं. लेकिन उनके लिए चेंजिंग रूम जैसी आवश्यक व्यवस्था आज भी नहीं है. खुले में कपड़े बदलना, कपड़े सुखाना या पूजा की तैयारी करना – सब कुछ बेहद कठिन परिस्थिति में करना पड़ता है. यह न केवल असुविधाजनक है, बल्कि महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा से भी जुड़ा मुद्दा है.
तालाब के घाटों पर चारों ओर कचरे के ढेर, प्लास्टिक की बोतलें पसरी हैं
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