रनिया. खूंटी जिले के सुदूरवर्ती रनिया प्रखंड में 1978 से दुर्गा पूजा का आयोजन किया जा रहा है. तब लालटेन तथा पेट्रोमैक्स की व्यवस्था कर लोगों ने मां दुर्गा का पूजा अर्चना शुरू करायी थी. रनिया निवासी शिव चौधरी, स्वर्गीय सहजू राम, स्वर्गीय केशव दास, स्व नंदकिशोर महापात्र, रघुवीर चौधरी, अशोक चौधरी, स्वर्गीय रामानंद साहू, दिलीप चौधरी, हीरा साहू आदि ने पूजा की शुरुआत करने में मुख्य भूमिका निभायी थी. उस समय महज 3000 रुपये तक में ही पूजा संपन्न हो जाती थी. शुरुआती दौर में शिव मंदिर के पास झोपड़ी में ही तिरपाल लगाकर दुर्गा पूजा करायी जाती थी. पूजा से पूर्व रनिया सौदे, लोहागढ़, टंगड़केला आदि साप्ताहिक हाट बाजारों में बजनिया से नगेड़ा से ढिंढोरा पिटवा कर लोगों को दुर्गा पूजा की जानकारी दी जाती थी. साप्ताहिक हाट बाजारों में स्वेच्छा से प्रत्येक दुकानदारों से एक से पांच रूपये तक चंदा किया जाता था. वहीं मदद के रूप में गांव के प्रबुद्ध लोगों द्वारा आसपास गांवों से कुछ सहयोग राशि प्रदान होती थी. रनिया में शुरुआती दौर से ही बंगाल से मूर्तिकार मूर्ति निर्माण के लिए आते थे. उस समय नवरात्रि पूजा नहीं होती थी, सिर्फ षष्ठी संध्या बेला में बेलवरण तथा सप्तमी पूजा, अष्टमी और नवमी तथा दशमी के दिन विसर्जन होती थी. पुरोहित स्व शिवनंदन मिश्र और स्व कैलास मिश्र द्वारा पूजा संपन्न कराई जाती थी. दशमी के दिन छऊ नृत्य, पाइका नृत्य, जादुर नृत्य, रामलीला सहित आदिवासी पारंपरिक नृत्य और नाटक का आयोजन किया जाता था. वहीं वीसीआर तथा टीवी पर धार्मिक फिल्में दिखायी जाती थी. तब सोदे, जयपुर, लोहागढ़ सहित दूर दराज में कहीं दुर्गा पूजा नहीं होती थी. जिसके कारण लोग दुर्गा उपासना करने के लिए दूर दराज से ब्लॉक चौक पहुंचते थे. वर्तमान में सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति का निर्माण किया गया और पूजा का विस्तार हो गया. समिति के अध्यक्ष उज्जवल उर्फ बुलबुल चौधरी, टिंकू चौधरी, धीरज शर्मा, राजेश चौधरी आदि ने बताया कि ब्लॉक चौक में दुर्गा पूजा भव्य तरीके से मनाने को लेकर तैयारी की जा रही है.
महज तीन हजार रुपये से शुरू की गयी थी पूजाB
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