खलारी : सीसीएल एनके एरिया अंतर्गत रोहिणी परियोजना पर जमीन का संकट मंडराने लगा है. परियोजना की खदान के विस्तारीकरण के लिए जमीन नहीं बची है. खदान के विस्तारीकरण के लिए 74.81 हेक्टेयर फॉरेस्ट लैंड का अधिग्रहण किया जाना है.
वनभूमि अधिग्रहण के लिए केंद्र सरकार द्वारा अनापत्ति दिया जाता है. इसके लिए स्टेज-वन तथा स्टेज-टू दो प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. मिली जानकारी के अनुसार केंद्र की ओर से स्टेज-वन की स्वीकृति एक वर्ष पूर्व ही दी जा चुकी है, लेकिन स्टेज-टू की प्रक्रिया पूरी नहीं होने के कारण खदान को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है. स्टेज-टू की प्रक्रिया के लिए झारखंड सरकार द्वारा गठित चार सदस्यीय टीम ने वनभूमि अधिग्रहण के लिए निरीक्षण कर लिया है. बावजूद इसके स्टेज टू की प्रक्रिया अभी भी लंबित है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मार्च 2015 तक किसी तरह खदान चलाया जा रहा है.
इसके बाद भी जमीन नहीं मिला, तो रोहणी खदान को आगे ले जाना मुश्किल हो जायेगा. जमीन के अभाव में भी इस परियोजना ने समय से पहले अपना उत्पादन लक्ष्य पूरा किया है. जमीन मिल जाने के बाद रोहिणी खदान अगले 10 वर्ष तक निर्बाध चलेगा. उक्त भूमि से प्रति वर्ष 20 लाख टन कोयले का उत्पादन किया जा सकेगा. भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में हो रहे विलंब से प्रबंधन व कामगार दोनों की चिंता बढ़ गयी है.