19.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

कहां हुआ भगवान बिरसा का जन्म ?

।।पंकज कुमार पाठक ।। रांची : जब आप गूगल से यह सवाल पूछेंगे कि भगवान बिरसा मुंडा का जन्म कहां हुआ ? गूगल आपको सीधे खूंटी जिले के उलिहातू का नाम बता देगा. इंटरनेट पर बिरसा कहां जन्में इसका सीधा से जवाब है, उलिहातू लेकिन क्या आप जानते हैं कि बिरसा के जन्म स्थान को […]

।।पंकज कुमार पाठक ।।

रांची : जब आप गूगल से यह सवाल पूछेंगे कि भगवान बिरसा मुंडा का जन्म कहां हुआ ? गूगल आपको सीधे खूंटी जिले के उलिहातू का नाम बता देगा. इंटरनेट पर बिरसा कहां जन्में इसका सीधा से जवाब है, उलिहातू लेकिन क्या आप जानते हैं कि बिरसा के जन्म स्थान को लेकर भी कई कहानियां हैं, विवाद है . बिरसा का जन्म चलकद में हुआ, बांबासिमाना में हुआ या उलिहातू में जवाब की तलाश में निकलेंगे तो आपके सामने कई और सवाल खड़े हो जायेंगे. अगर आप गांव के लोगों से यह सवाल पूछेंगे, तो कई कहानियों के साथ आपको जवाब मिलेगा. ये वही काहनियां हैं, जो गांवों में पीढ़ियों से चली आ रही है.

उलिहातू के लोग गर्व से मानते हैं, बताते हैं कि बिरसा का जन्म यहां हुआ लेकिन इस गांव के आसपास जब आप घूमेंगे, तो आपको बिरसा के जन्म को लेकर कई कहानियां सुनने को मिलेगी. यहां तक की बिरसा के जन्म की तारीख और साल भी अलग- अलग बताया जायेगा. इन गांवों में एक है "चलकद ". बिरसा ने चलकद को आंदोलन का केंद्र बनाया था. इसी गांव से बिरसा के संघर्ष की शुरुआत मानी जाती है. 9 अगस्त, 1895 को चलकद में पहली बार बिरसा को गिरफ्तार किया गया था लेकिन उनके अनुयायियों ने उन्हें छुड़ा लिया. उसके बाद से आंदोलन की दिशा ही बदल गयी. यहां रह रहे लोग बताते हैं कि बिरसा यही बड़े हुए.
चलकद के ग्राम प्रधान बताते हैं कि मैंने अपने बुजुर्गों से, जो कहानी सुनी है. वह आपको बता रहा हूं. शुरुआत करने से पहले मैं आपको बता दूं कि भगवान बिरसा की कहानी बताना चित्र बनाने की तरह है. बिरसा की कहानी गांव में सभी के पास है और सभी आपसे अलग- अलग तरीके से कहेंगे. चित्र बनाने की तरह जैसे कोई हाथ से शुरू करता है, कोई पैर से तो कोई सिर से वैसे ही बिरसा की कहानी बताने वाले अलग, अलग जगह से शुरू करते हैं.
भगवान बिरसा का जन्म कहां हुआ ? ग्राम प्रधान कहते हैं, ऐसे सवाल मत पूछिये जवाब छोटा नहीं है कि आप खड़े – खड़े बात करें और चले जायें. घर वालों से कुरसी लाने का इशारा करते हुए कहते हैं, समय है तो आराम से बात करेंगे ऐसे जल्दबाजी में नहीं. कुरसी आयी तो बैठने का इशारा करते हुए कहानी बताने लगे, बिरसा के पिता सुगना मुंडा को उलिहातू से किसी विवाद के कारण निकाल दिया गया. सुगना अड़की से होते बांबासिमाना गांव आ गये. यहीं बिरसा का जन्म हुआ. इस गांव में सुगना खेती करते थे लेकिन फिर वहां से विवाद के कारण उन्हें हटना पड़ा तब वह चलकद आये. यहां काले पत्थर में बिरसा के माता पिता का नाम लिखा है. यहीं उनकी झोपड़ी थी. 12 साल की उम्र में यहीं से उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष की शुरुआत की.
अगर आप इतिहास के जानकारों से सवाल करेंगे और जानकारी निकालने की कोशिश करेंगे तो पायेंगे कि बिरसा के जन्मस्थान को लेकर काफी विवाद है. आम तौर माना जाता है कि भगवान बिरसा का जन्म 15 नवम्बर, 1875 को हुआ था. उनके नाम के पीछे की कहानी भी यह बतायी जाती है कि वृहस्पतिवार को जन्म हुआ मुंडारी भाषा में वृहस्पतिवार को ‘बिरसा’ कहा जाता है.
बिरसा के साथ- साथ आप तारीखों का इतिहास देखेंगे तो पायेंगे साल 1875 में नवंबर की 15 तारीख का दिन वृहस्पतिवार नहीं था. उनके जन्म का वर्ष या तो 1866 होगा या फिर 1877. अगर वर्ष और दिन सही मान लिया जाए तो यह साफ होगा कि बिरसा का जन्म सोमवार को हुआ. कई जगहों पर आप पायेंगे कि बिरसा का जन्म स्थान चलकद बताया जाता है साथ ही उनके पिता का नाम सुगना मुंडा था और मां का नाम कर्मी मुंडा था. सुगना रांची जिला के उलिहातू गांव के निवासी लकरी मुंडा के दूसरे पुत्र थे.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel