खूंटी : गर्मी से जनजीवन प्रभावित हो गया है. क्षेत्र की नदियां सुख चुकी हैं. कुएं सूखने के कगार पर है. अगर यही हाल रहा तो अगले माह में जनता को पेयजल के लिए जूझना पड़ेगा.
नदियां जो सूख चुकी : खूंटी अंगराबाड़ी के बीच पेलोल नदी, मुरहू में बनई नदी, पंचघाघ जलप्रपात, तोरपा का छाता नदी व प्राय: क्षेत्र की नदियां व तालाब सूख चुके हैं.
नदियों का दोहन : प्राकृतिक संसाधनों से छेड़छाड़ के क्रम में नदियों से बालू की निकासी प्रतिदिन हो रही है. जिले से प्रतिदिन क्षेत्र से 50 से ज्यादा ट्रक व ट्रैक्टर से बालू की सप्लाई हो रही है. जलस्रोत को स्थिरता व बढ़ाने में नदियों में बालू का होना जरूरी है. पर अब नदियां बालू विहीन हो गयी हैं. जिससे नदियों का अस्तित्व लगातार खतरे में पड़ रहा है.
जंगलों की अवैध कटाई : जिले में जंगलों की कटाई धड़ल्ले से जारी है. वनों के लगातार ह्रास से भी ग्लोबल वार्मिंग की समस्या ज्यादा बढ़ गयी है. प्रतिवर्ष क्षेत्र का तापमान तीन डिग्री सेंटीग्रेट से ज्यादा बढ़ रहा है. यह खतरे का संकेत है. परिस्थिति से निबटने का एकमात्र उपाय नदियों व पेड़ों का दोहन हर हाल मे बंद करना होगा. ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने पर जोर देना होगा.
डीप बोरिंग : पानी की प्राप्ति के लिए क्षेत्र में काफी संख्या में लोग डीप बोरिंग करा रहे हैं. कहीं-कहीं तो 800 से हजार फीट पर भी लोगों को पानी नहीं मिल रहा है.