रांची : कभी उग्रवादीहिंसा के लिए कुख्यात रहा झारखंड का खूंटीजिलाइन दिनों पत्थलगड़ी और एक गैर सरकारी संस्था की पांच महिला सदस्यों से गैंगरेप के लिए बदनाम हो गया है. कुछ समाजविरोधी तत्वों की वजह से राजधानी रांची से सटे इस क्षेत्र को सत्ता प्रतिष्ठान और लोकतंत्र के शत्रु के रूप में देखा जाने लगा था.कहा जा रहा था कि पत्थलगड़ी समर्थक भारत या झारखंड सरकार के कानून को मानने के लिए तैयार नहीं हैं. इस पर खूब राजनीति हुई.
भारतीय जनता पार्टी के सांसद कड़िया मुंडा के चार गृह रक्षकों के अपहरण के बाद क्षेत्र का माहौल पूरी तरह बदल गया था. ग्रामीणों और पुलिस प्रशासन आमने-सामने आ गये थे. लेकिन, अब धीरे-धीरे माहौल शांत हो रहा है. यहां के लोगों ने यह जता दिया है कि खूंटी के लोग किसी के खिलाफ नहीं हैं. वे भी आम जन हैं और सबके साथ मिलकर रहना चाहते हैं.
खूंटी के उपायुक्त तोरपा प्रखंड के चंद्रपुर गांव में पहुंचे, तो यहां की आदिवासी महिलाओं ने उनका हाथ पकड़ लिया. बहुत सम्मान के साथ उन्हें अपने अखड़ा में ले गयीं और उनका हाथ पकड़कर नाचने लगीं. आदिवासी समुदाय की यह आत्मीयता देख उपायुक्त भी उनके साथ नाचने से खुद को रोक नहीं पाये. उपायुक्त को अपने साथ नाचते देख वहां की महिलाओं के चेहरे पर जो खुशी के भाव थे, वह देखते ही बन रहा था. अखड़ा में नाच खत्म हुआ, तो ग्राम प्रधान ने उपायुक्त को पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया.