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जिले में जल-जीवन मिशन योजना की रफ्तार धीमी, अब तक 37 प्रतिशत ही सका है काम

जामताड़ा. केंद्र सरकार देश के सभी ग्रामीण परिवारों को गुणवत्तापूर्ण पेयजल नल के जरिये मुहैया कराने को लेकर काम कर रही है.

तीन फुल ब्लॉक कवरेज योजना व 11 लघु ग्रामीण जलापूर्ति योजना है शामिल संवाददाता, जामताड़ा. केंद्र सरकार देश के सभी ग्रामीण परिवारों को गुणवत्तापूर्ण पेयजल नल के जरिये मुहैया कराने को लेकर काम कर रही है. अगस्त 2019 में केंद्र व राज्य के साथ मिलकर प्रदेशों में नल से जल मुहैया कराने के लिए जल जीवन मिशन शुरू की. इस योजना के तहत केंद्र सरकार राज्यों को तकनीकी और वित्तीय सहायता मुहैया कराती है, लेकिन जामताड़ा जिले में जल जीवन मिशन के तहत जलापूर्ति योजना का कार्य धीमा चल रहा है. मिशन 2024 तक हर ग्रामीण घर में नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य था, लेकिन कार्य धीमा रहने के कारण केंद्र सरकार ने इस योजना का समय सीमा बढ़ाकर 2028 कर दिया है. हालांकि जिले भर में करीब 37 प्रतिशत ही काम हुआ है. जल जीवन मिशन के तहत जिले के सभी घरों में शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए 14 जलापूर्ति योजना को धरातल पर उतारने के लिए सरकार ने योजना बनाई है, ताकि अलग-अलग स्थानों में विभिन्न गांवों में जलापूर्ति की जा सके. इन 14 योजनाओं में तीन फुल ब्लॉक कवरेज योजना व 11 लघु ग्रामीण जलापूर्ति योजना है. जानकारी के अनुसार, जामताड़ा प्रखंड में जलापूर्ति योजना का कार्य 35 प्रतिशत तक ही पूरा किया जा सका है, जबकि नारायणपुर प्रखंड में 31 प्रतिशत काम हुआ है. इसी प्रकार करमाटांड़ प्रखंड में 32 प्रतिशत काम हुआ है. नाला प्रखंड के बड़ारामपुर अफजलपुर, दलाबड़ व महेशमुंडा जलापूर्ति योजना का कार्य शुरू हो गया है. सालुका, टेसजोड़िया, फुटबेड़िया का कार्य 80 प्रतिशत तक हुआ है. वहीं कुंडहित के मुड़ाबेड़िया, विक्रमपुर में निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है, जिसकी टेस्टिंग की जा रही है. साथ ही फतेहपुर प्रखंड धसनियां, पालाजोरी में भी टेस्टिंग हो रही है, जबकि फतेहपुर पहाड़ागोड़ा- मुर्गाबनी में कार्य कर रहे संवेदक को कार्य धीमा रहने के कारण ब्लैक लिस्टेड करने की अनुंशसा करने की तैयारी विभाग कर रहा है. क्या कहते हैं ईई जिले में जल जीवन मिशन के तहत सभी प्रखंडों में 14 योजना संचालित है. जिले भर में अब तक करीब 37 प्रतिशत काम हुआ है. सभी प्रखंडों में कार्य में तेजी लाने का निर्देश दिया गया है. हालांकि कार्य का समय सीमा बढ़ाकर 2028 तक कर दिया गया है. – अनूप कुमार महतो, ईई, पीएचइडी.

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