मिहिजाम. जनजातीय संध्या डिग्री महाविद्यालय मिहिजाम में हिंदी विभाग की ओर से विभागीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. द्विवेदी युग भाषा, साहित्य और समाज का परिर्वतन के महत्व पर विषय पर आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता कॉलेज प्राचार्य प्रो कृष्ण मोहन साह ने की. संगोष्ठी में द्विवेदी युग के रचनाकारों ने साहित्य क्षेत्र में दिये गये योगदान को रेखांकित कर इसे अमूल्य उपहार बताया. बतौर मुख्य वक्ता जामताड़ा कॉलेज के सहायक प्राध्यापक डॉ रामस्नेही राम ने इस पर प्रकाश डालते हुए कहा कि खड़ी बोली के विकास के साथ-साथ गद्य एवं पद्य में साहित्य व अन्य विधाओं में नाटक, उपन्यास, कहानी, कविता इत्यादि द्वारा समाज की कुरीतियों को अपना आधार बनाया है. साहित्य समाज का दर्पण है. उन्होंने राष्ट्रीय चेतना को जागृत करने में उस काल के रचनाकारों के योगदान को उदघृत किया. मौके पर प्राचार्य प्रो कृष्ण मोहन साह ने कहा कि द्विवेदी युग के साहित्यकारों द्वारा साहित्य के माध्यम से समाज के हर वर्ग को सबल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी गयी. उन्होंने रश्मिरथी की पंक्ति का स्मरण कर कहा कि मानव जब जोर लगाता है तो पत्थर भी पानी बन जाता है. ऐसी परिस्थिति में आज के शिक्षार्थियों व शिक्षकों को भी द्विवेदी युग से प्रेरणा लेनी चाहिए. साहित्य समाज का दर्पण है. हम इसका प्रतिबिंब बनें, यह इच्छा शक्ति लानी होगी. संगोष्ठी में मंच संचालन कर रहे हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक सतीश कुमार शर्मा ने कहा कि द्विवेदी युग के साहित्याकारों द्वारा समाज में व्याप्त जातिवाद, छुआछुत, बालविवाह, दहेज प्रथा जैसी बुराइयों को उजागर कर महिलाओं की दयनीय स्थिति को सुधारने के लिए आवाज बुलंद की गयी. द्विवेदी युग हिंदी भाषा साहित्य और समाज की महत्वपूर्ण अवधि थी. इस युग में भाषा को साहित्यिक रूप से अधिक परिष्कृत किया गया. साहित्य में नए विषयों और शैलियों का प्रवेश हुआ. इस मौके पर आईक्यूएसी कोऑर्डिनेटर डॉ सोमेन सरकार, नैक कोऑर्डिनेटर डॉ राकेश रंजन, डॉ किरण वर्णवाल, पुष्पा टोप्पो, पूनम कुमारी, अमिता सिंह, रंजीत यादव, अरविंद सिन्हा, देवकी पंजियारा, शबनम खातून, संजय सिंह, उपेंद्र पांडेय, रेखा कुमारी, संजय सिंह, दिनेश रजक, राज कुमार मिस्त्री व छात्र-छात्राएं थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है