नारायणपुर. श्रीराम का कथा श्रवण करने वाले सौभाग्यशाली होते हैं. कई जन्मों के भाग्य के पुण्य के बाद राम कथा सुनने का अवसर मिलता है. राम नाम से वाणी पवित्र हो जाता है. इसलिए मनुष्य को सत्संग में भाग लेना चाहिए. उक्त बातें नारायणपुर प्रखंड के बड़बहाल में आयोजित श्रीराम कथा के चौथे दिन कथावाचक कन्हैया द्विवेदी ने कही. गुरुवार की रात्रि कथा में कन्हैया द्विवेदी ने कहा कि आश्रम चार प्रकार के हैं. सबसे बड़ा गृहस्थ आश्रम है. गृहस्थ आश्रम बहुत बड़ी जिम्मेवारी वाला आश्रम है. उन्होंने कहा कि मनुष्य अपने शरीर को भगवान से जोड़ दे तो संसार रूपी समुद्र से बेड़ा पार हो जायेगा. श्रीराम हमारे नैया को कभी डूबने नहीं देंगे, जो मनुष्य दूसरे के सुख को देखकर मन नाखुश कर ले तो उनका मन निर्मल कभी नहीं हो सकता है. मन को पवित्र रखना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि रामचरितमानस केवल एक ग्रंथ नहीं बल्कि, आर्यावर्त धर्म व संस्कृति को प्रकट करने वाला विशिष्ट पुराण है. रामचरितमानस की रचना कर बाबा तुलसीदास जी ने भारतवासियों पर अनंत उपकार किये हैं. यह ग्रंथ शिव व हरी विष्णु की महिमा को एकाकार करने की प्रेरणा देता है. रामचरितमानस में शिव-पार्वती की कथा एवं उसके बाद प्रभु श्रीराम की कथा दोनों ग्रंथ में समाहित है. जीवन में जब भी रामकथा सुनने का अवसर मिले उस अवसर को नहीं चुकने दें. प्रभु राम भारत की भूमि पर निवास करने वाले करोड़ों लोगों की आस्था व विश्वास के प्रतीक हैं. कहा कि जीवन का आधार ही राम नाम है. हर जगह राम नाम की महिमा का गुणगान है. राम सिर्फ एक नाम नहीं है. राम नाम सबसे बड़ा मंत्र है. राम नाम की महिमा तो ये है कि सदाशिव भोले शंकर भी राम नाम जपते रहते हैं. इसी नाम का वो हर प्रहर जाप करते रहते हैं. संसार राम नाम से ही चल रहा है. सूर्य, चंद्रमा, अग्नि, वायु सभी में जो शक्ति है वह राम नाम में समाहित है. कथा के बाद दिन रात्रि सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन हुआ.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है